हैं, उन्हें सबसे पहले यह समझना चाहिए कि आखिर क्यों नरेंद्र मोदी ने जोरदार तरीके से दो चुनावी जीत हासिल कीं और क्यों मतदाताओं में व्यापक रूप से उनकी लोकप्रियता कायम है।
यह विद्वान अध्येता खुद आजीवन धार्मिक कट्टरपंथ के विरोधी रहे हैं और लोकतंत्र तथा बहुलतावाद के समर्थक रहे हैं। मोदी और शाह के शासन को वह खतरनाक और विभाजनकारी मानते हैं, जैसा कि मैं भी मानता हूं। मगर, इस अध्येता ने हमें याद दिलाया कि हम लोकतंत्रवादियों और बहुलतावादियों को यह स्वीकार करना चाहिए कि जिस नेता का हम विरोध करते हैं, उन्हें बहुत से भारतीय पसंद करते हैं।
राहलु गांधी पूर्व प्रधानमंत्रियों के पुत्र, पौत्र और प्रपौत्र हैं, यह अधिकांश भारतीयों की नजर में एक लाभ नहीं है, जिनका जन्म और वंश के आधार पर किए जाने वाले दावों से तेजी से मोहभंग हो रहा है। राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस जब प्रधानमंत्री और उनकी सरकार पर प्रेस और विरोध को दबाने का आरोप लगाती है, तो सत्तारूढ़ दल का फौरी जवाब होता है, और इंदिरा गांधी और उनके आपातकाल ने क्या किया था?
मैंने राहुल गांधी को नौसिखुआ और नेक इरादे वाला कहा। उनका यह बाद वाला गुण इस बात का प्रमाण है कि परिवार के वही एकमात्र सदस्य हैं, जो अपने हक को लेकर विरोधाभासी हैं। उनकी मां और बहन, दोनों ही वंश को लेकर कट्टरपंथी हैं। इसीलिए प्रियंका गांधी सोचती हैं कि उनका यह बयान कि मैं इंदिरा गांधी की पोती हूं, उनकी राजनीति की आलोचनाओं को चुप करा देगा। पार्टी और देश में परिवार के शासन के प्रति सोनिया गांधी का समर्पण कहीं अधिक गहरा है। राहुल गांधी को इस बात का श्रेय जाता है कि वह इस संबंध में अपनी मां और बहन...
तीसरी बात, वह एक शानदार वक्ता हैं। हालात को वह प्रभावकारी तरीके से संभालते हैं। मन की बात में वह दादा की तरह लगते हैं, चुनावी रैलियों में जननायक, शिखर बैठकों में राजनेता इत्यादि। खासतौर से हिंदी में शब्दों को बरतने का उनका तरीका अद्भुत है। वह जिस सहजता से झूठ बोलते हैं, वह आश्यचर्यजनक है, उनके तथ्य भी तथ्यपरक नहीं होते। चौथी, उनकी रुचियां बहुत व्यापक हैं, स्वाभाविक है कि वह ब्रेकिंग न्यूज पर नजर रखते हैं। पांचवीं बात, उनके पास गृह मंत्री के रूप में एक दुर्जेय सहयोगी हैं, पूरी तरह से...
साढ़े सात साल बाद राहुल गांधी राजनीति में नौसिखुआ बने हुए हैं। उनके इस नौसिखुआपन का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि वह अब भी धाराप्रवाह हिंदी नहीं बोल पाते, बावजूद इसके कि वह उत्तर प्रदेश से तीन बार सांसद रह चुके हैं। बहुसंख्यक भारतीय जो भाषा बोलते हैं उसमें वाक्पटुता में कमी निश्चय ही 2014 और 2009 के आम चुनावों में अपनी पार्टी का नेतृत्व करते हुए राहुल गांधी के खराब प्रदर्शन करने की एक वजह है। उनकी लड़खड़ाती हिंदी नरेंद्र मोदी की भाषा पर पकड़ के एकदम उलट है। लेकिन इसके अलावा दूसरे कारण भी हैं,...
INCIndia BJP4India बीफ निर्यात पर रोक लगावो मोदी जी जीव हत्या कर के धन कामाते हो ड़ूब मरो अलकबीर अलनूर अलअरबिया जैसे नाम रख कर मुंह छूपाते हो
INCIndia BJP4India हर मनुष्य को अपने परिवार व देश का इतिहास याद होना चाहिये व अपने पूर्वजो पर गर्व होना चाहिये लेकिन यहाँ रामचन्द्र जी राहुल जी से पूर्वजो की व पूर्वजो से राहुल जी की छवि को खतरा है । ऐसे तर्क पेशेवर तर्क होते है
INCIndia BJP4India Come on Read Mr Raj Mohan Gandhi also.
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »