हरिवंश नारायण सिंह लगातार दूसरी बार राज्यसभा में उपसभापति चुने गए हैं। साल 2014 में पहली बार जदयू ने हरिवंश को राज्यसभा के लिए प्रस्तावित किया था। - फाइल फोटोरविवार को राज्यसभा में जो कुछ हुआ, फिर निलंबित सांसदों का धरना और सुबह-सुबह एक भावुक पोस्चर लेते हुए उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह जिस तरह खुद झोले में चाय-बिस्कुट लेकर बेड-टी डिप्लोमेसी पर पहुंचे और फिर एक भावुक चिट्ठी लिखी, उसके बाद से इस पूरे प्रकरण पर बहस छिड़ी हुई है। बहस के कई सिरे हैं। अगर एक सिरा कृषि बिलों से होने वाले जमीनी...
इतना जरूर याद है कि यूपी-बिहार में पत्रकारिता करते हुए उस एक खास कालखंड में अखबारों में अपनी आचार संहिता बनाने-दिखाने का जिन कुछ सम्पादकों को शौक चढ़ा था, उनमें हरिवंश भी एक थे। यह आचार संहिताएं भी ऐसी ही थीं कि उन्हें पढ़कर ही लगता था, यह तोड़ने के लिए ही बनाई और लिखी गई हैं। धेले भर का लाभ न लेने के भारी-भरकम वादे करने वाले ऐसे प्रधान सम्पादकों में से हरिवंश तो एक बार पीएमओ और फिर राज्यसभा में भी पहुंच गए और फिर इस महती गरिमामय आसन तक भी। हालांकि कुछ राज्यसभा से प्रसार भारती तक की आस लगाए,...
यह भी अनायास नहीं है कि हरिवंश कभी भी अपनी ‘अतीत के गौरव’ का बखान करने से नहीं चूकते। अगस्त 2018 में दोबारा उपसभापति चुने जाने के बाद उन्होंने जब कहा- “मैं आपका आभारी हूं कि आपने एक ऐसे व्यक्ति को इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त समझा जो गांव में रहने वाले एक बहुत सामान्य परिवार से आता है और जो कभी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में नहीं गया।” तब उनके एक अनन्य मित्र जयशंकर गुप्त ने मेरी निजी बातचीत में कहा था- हरिवंश को अब ये अपना पुराना सर्टिफिकेट दिखाना बंद कर देना चाहिए। वो बहुत पहले उस...
हालांकि, मंगलवार की सुबह धरने पर बैठे सांसदों की दरी पर बैठकर, उन्हें चाय पिलाने, उनके साथ चाय पीते हुए उनके तंजिया बयानों ने उन्हें जितना विचलित किया होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उनकी प्रशंसा वाले ट्वीट उन्हें कितना संतुष्ट कर पाएंगे, फ़िलहाल इसे लेकर किसी निष्कर्ष या निकष पर पहुंचना मुश्किल है। शायद उनके अति करीबी मित्रों के लिए भी यह कठिन ही हो।उनकी नैतिकता खरी न उतरने के कई उदाहरण हैं। उनके अत्यंत करीबी रहे एक मित्र बताते हैं कि- ‘जिनके खिलाफ उन्होंने मुहिम चलाई , उन्हीं के दल के साथ...
_YogendraYadav Aaj bjp ka dalal ho ho gya
Patrakarita say Upp SabhaPati kay padd tak Mahodya ji aap bahuche bahut achi baat hay. Aap patrakaar rahe patrakaar to pach bipach dono ki baate sunta or likhta hay akhbaar may parantu aapne Kisan ki awaaz nahi sun rahe may bhi aapko dekhta tha Tv par or aadrniya Om Birla sir ji
swaraj_abhiyan Its clear from the article that he had political ambitions since long. . . So stop celebrating him... he's just a govt servant since early on and always wished too serve the govt.. hoping that there's no other journo like him.. though there're plenty. Arnb, saran,anjnomkshyp
_YogendraYadav ग़ज़ब का विनम्रता भरा चुटीला अन्दाज़, लेखनी को प्रणाम
योगेन्द्र यादव जी का लेख पढा बहुत सटीक विश्लेषण किया है ।
The most unconstitutional&immoral deputy speaker of the parliament.Such people have no self respect.His concious is full of snake's poison.Such persons are the biggest hurdle in the path of democracy.Look at his smile,the most irritating?
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