विभिन्न पत्रकार संगठनों ने शुक्रवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखकर पत्र सूचना कार्यालय द्वारा मीडियाकर्मियों की मान्यता के लिए हाल ही में जारी किए गएपीआईबी ठाकुर के मंत्रालय के अधीन आता है. मंत्री को लिखे अपने पत्र में पत्रकारों के निकायों ने कहा कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के तत्वावधान में आयोजित एक बैठक में नए मान्यता दिशानिर्देशों पर चर्चा की गई.
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, भारतीय महिला प्रेस कोर, प्रेस एसोसिएशन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और वर्किंग न्यूज कैमरामेन एसोसिएशन के अध्यक्ष शामिल हैं. सरकार ने सीएमएसी का पुनर्गठन किया था, जो यह निर्णय लेने वाली संस्था है कि पीआईबी मान्यता किसे मिलेगी है. इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ‘भारत सरकार केंद्रीय मीडिया मान्यता समिति नामक एक समिति का गठन करेगी, जिसकी अध्यक्षता पत्र सूचना आयोग के प्रधान महानिदेशक करेंगे और इसमें भारत सरकार द्वारा नामित 25 सदस्य तक हो सकते हैं, जो इन दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित कार्यों का निर्वहन करेंगे.’दिशानिर्देशों में एक मान्यता प्राप्त पत्रकार की मान्यता निलंबित या रद्द करने के संबंध में दस क्लॉज दिए गए हैं.
हम इस लोकतंत्र-विरोधी नई मान्यता नीति को वापस लेने और प्रेस की पूर्ण स्वतंत्रता बहाल करने की मांग करते हैं।' जारीकर्ता, स्वपन घोष कार्यालय सचिव, एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) केन्द्रीय कमेटी
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अपने जनविरोधी एकाधिकारी पूंजीपति-परस्त कृत्यों के बारे में लोगों को अंधेरे में रखने के लिए पत्रकारों के लिए रखी गई कठोर शर्तें कुछ और नहीं बल्कि प्रेस की बची-खुची स्वतंत्रता को ध्वस्त करने का एक और बदनीयत से प्रेरित फासीवादी डिजाइन है।
पत्रकारों के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनायी गई मान्यता नीति (अक्रेडिटेशन पॉलिसी) की निंदा करते हुए, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के महासचिव श्री प्रभास घोष ने आज 8 फरवरी 2022 को जारी बयान में कहा कि: “
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