eastern ladakh standoff : चीन की मंशा एलएसी को बदलने की है, ऐसे में भारत ने साफ कर दिया है कि ड्रैगन को अप्रैल वाली स्थिति पर लौटना होगा। इसके साथ ही सेना लंबे समय तक एलएसी पर डेरा डाले रखने की तैयारी भी कर चुकी है।पूर्वी लद्दाख में पीछे न हटने पर अड़े चीन के रुख को देखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को उच्चस्तरीय बैठक कर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। यह बैठक भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए राजनयिक स्तर पर हुई वार्ता के दो दिन बाद हुई। सूत्रों ने बताया कि...
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, CDS जनरल बिपिन रावत, थल सेना प्रमुख जनरल नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने इस बैठक में शिरकत की। सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत किसी भी हाल में सैनिकों की संख्या कम नहीं करने जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने चीन के साथ बातचीत में मजबूती के साथ कहा कि विवाद को सुलझाने के लिए अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल होनी...
सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि हालात से निपटने के लिए भविष्य के कदमों पर विचार-विमर्श किया गया। उधर, सेना ने बताया है कि उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर सुरक्षा स्थिति और सैन्य तैयारियों की समीक्षा के लिए 20 और 21 अगस्त को सेना के कमांडरों की बैठक हुई थी।सूत्रों ने बताया कि सेना का आकलन है कि चीनी सैनिक सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गंभीर नहीं हैं। यह माना जा रहा है कि दो दिवसीय सम्मेलन में सेना के कमांडरों ने...
दोनों पक्षों के बीच गुरुवार को राजनयिक स्तर की अगले चरण की वार्ता हुई जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने त्वरित तरीके से और निर्धारित समझौते और प्रक्रिया के मुताबिक लंबित मुद्दों के समाधान के लिए सहमति जताई है। हालांकि सूत्रों ने कहा कि बैठक में कोई महत्वपूर्ण समाधान नहीं हो सका। सूत्रों ने बताया कि सैन्य वार्ता में भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा एलएसी को ‘बदलना’ स्वीकार्य नहीं है जबकि चीनी सेना की कोशिश पूर्वी लद्दाख में अपनी कार्रवाई को उचित...
सूत्रों ने बताया कि भारत लद्दाख में नई सड़कें बिछाने का भी काम कर रहा है। अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर बातचीत के एक दिन बाद छह जुलाई को सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई थी। हालांकि, मध्य जुलाई के बाद से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पीछे हट चुकी है लेकिन पैंगोग सो, देपसांग तथा कुछ अन्य स्थानों से सैनिकों की वापसी नहीं हुई है।देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और...
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