नेपाल की प्रतिनिधि सभा में कुल सदस्यों की संख्या 275 हैं. साल 2017 के चुनावों में, ओली की पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने 121 सीटें जीती थीं और प्रचंड की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी ने 53 सीटें.
अगर प्रचंड की पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले लेती है तो, नेपाली कांग्रेस या फिर जनता समाजबादी पार्टी के समर्थन से ओली प्रधानमंत्री बने रह सकते हैं. हालांकि नेपाल के जानकार इस संभावना से इनकार करते हैं.शंभु थापा कहते हैं, "रविवार को एनसीपी नाम से दोनों पार्टियों के विलय पर कोर्ट के ताज़ा फ़ैसले पर रिव्यू याचिका दायर करने का विकल्प खुला है.
शंभु थापा कहते हैं, "प्रधानमंत्री ओली को पद से हटाने के लिए ये ज़रूरी है कि दूसरी पार्टी उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए या फिर प्रचंड अपना समर्थन सरकार से वापस ले लें. अब ओली केयर टेकर सरकार नहीं चला रहे हैं." ऐसे सदस्यों के पास दो विकल्प बचते हैं, या तो जिस पार्टी के चिन्ह पर चुनाव लड़ा उसी पार्टी में वापस चले जाएँ या फिर अपनी सदस्यता से हाथ धो बैठे."
शंभु थापा कहते हैं, "नेपाल के संविधान में प्रावधान है कि किसी भी संवैधानिक पद पर नियुक्ति को 45 दिन के अंदर संसदीय समिति द्वारा मंजूर या नामंजूर करना होता है. चूंकि संसद उस दौरान भंग थी, इसलिए एक गुट का मानना है कि 45 दिन के बाद अपने-आप ही वह अध्यादेश मंज़ूर मान लिया जाएगा. लेकिन दूसरे गुट का कहना है कि चूंकि संसद उस दौरान भंग थी, इसी आधार पर उस अध्यादेश को अवैध करार दे दिया जाना चाहिए."
भारत से लेलो ना थोड़ा लोकतंत्र ...यहाँ थोड़ी कम पड़ रहा है ..😊😊
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