पटना: बिहार के सीएम और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार कमजोर पड़ गए हैं। उन पर बुढ़ापा तारी है। वे अक्सर बीमार पड़ जाते हैं। अब उनकी जुबान भी बहक जा रही है...
4 प्रतिशत है। कोइरी-कुशवाहा की आबादी को आज भी पूर्व की तरह नीतीश के पक्ष में इंटेक्ट मान लें, तब भी यह 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होती है। बिना किसी करिश्मा या दूसरी जातियों के सहयोग के, इतने वोटों के सहारे सत्ता तक पहुंचना बिहार में किसी के लिए मुश्किल है। फिर भी नीतीश कुमार 2005 से अब तक बिहार के सीएम बने हुए हैं तो इसका अर्थ स्पष्ट है कि वे किसी एक-दो जातियों के नहीं, बल्कि जमात के नेता हैं। अपनी ऐसी छवि उन्होंने अपने कर्म और आचरण से बनाई है। वे आरजेडी की तरह M-Y समीकरण के तकरीबन 30-31 प्रतिशत...
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