केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए फांसी की सजा की प्रक्रिया को स्पष्ट करने की मांग की है। सरकार ने याचिका में प्रक्रिया को दोषी के बजाय पीड़ित के हित पर केंद्रित करने की मांग की।
उस फैसले में पीड़ित व पीड़ित परिवार की मानसिक आघात, यातना, विप्लव व उन्माद को नजरअंदाज कर दिया गया था। अब समय आ गया है कि इनके हितों को ध्यान में रखते हुए दिशानिर्देश बनाने की जरूरत है। एक दोषी की फांसी पर उसके साथी दोषियों की रिव्यू या क्यूरेटिव पिटिशन या दया याचिका के लंबित होने का प्रभाव न होगृह मंत्रालय की ओर से दायर आवेदन में वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा शत्रुघ्न चौहान मामले में दिए फैसले में दिए दिशानिर्देशों को स्पष्ट करने की गुहार की है। उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिकाओं का लंबे समय तक लंबित रहने के मद्देनजर कहा था कि लंबा इंतजार दोषियों के लिए मानसिक प्रताडना के समान है। साथ ही उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डेथ वारंट जारी होने और फांसी देने के...
याचिका में गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2014 में शत्रुघ्न चौहान मामले में दिए फैसले में दिए गए दिशानिर्देशों को स्पष्ट करने की गुहार की है। आवेदन में कहा गया है कि शत्रुघ्न मामले में दोषियों के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए दिशानिर्देश जारी किए गए थे, लेकिन इससे अधिक महत्वपूर्ण पीड़ित, पीड़ित परिवार का हित है।
PMOIndia rsprasad OfficeOfRSP बहुत अच्छा।
PMOIndia rsprasad OfficeOfRSP
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