निर्भया के दोषियों को फांसी देने वाले पवन जल्लाद शबनम के लिए तैयार, कही ये बात

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पवन जल्लाद ने यह भी बताया कि उन्हें किस बात का इंतजार है...

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव में 15 अप्रैल 2008 को हुई सात हत्याओं की दोषी शबनम नाम की महिला को फांसी दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के बाद राष्ट्रपति भवन से भी उसकी दया याचिका खारिज हो चुकी है. शबनम को फांसी देने के लिए मेरठ का पवन जल्लाद तैयार है. पवन जल्लाद का कहना है कि वो फांसी देने को वो एकदम तैयार है, बस तारीख और बुलावे का इंतजार है. दरअसल, शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.

परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर शबनम आए दिन अपने प्रेमी को मिलने के लिए घर बुलाने लगी जिसका परिवार के लोग विरोध करते थे. प्रेमी से मिलने में कोई बाधक ना बने इसके लिए शबनम अपने घर के लोगों को चुपके से नींद की गोलियां देने लगी. 14 अप्रैल 2008 की रात को भी शबनम ने अपने प्रेमी से मिलने के लिए परिवार के लोगों को नींद की गोलियां दे दीं.उसी दौरान शादी में बाधक बन रहे परिजनों को लेकर शबनम ने अपने प्रेमी सलीम से शिकायत की और उन्हें रास्ते से हटाने की साजिश रच दी.

घटना को अंजाम देकर सलीम वहां से फरार हो गए लेकिन शबनम घर में रही और सुबह होते ही रोने का नाटक करते हुए गांव वालों को बताने लगी की बदमाशों ने आकर उसके पूरे परिवार की हत्या कर दी. जब लोग उनके घर पहुंचे तो दो मंजिले मकान के तीन कमरों में बस खून ही खून पसरा था और बिस्तर पर शव पड़े हुए थे.इस नरसंहार की वजह से बावनखेड़ी गांव कई महीनों तक देश में सुर्खियों में रहा और उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने भी वहां का दौरा किया था.

स‍िर में फंदे को कसने के ल‍िए कैदी के चारों तरफ घूमना होता है. जैसे ही सारा काम पूरा हो जाता है, हम लीवर के पास पहुंच जाते हैं और जेल अधीक्षक को अंगूठा द‍िखाकर बताते हैं क‍ि हमारा काम पूरा हो गया है. अब इशारा होते ही लीवर खींचने की तैयारी होती है.पवन ने बताया कि कैदी को खड़े करने की जगह पर एक गोल निशान बनाया जाता है ज‍िसके अंदर कैदी के पैर होते हैं. जेल अधीक्षक रूमाल से इशारा करता है तो हम लीवर खींच देते हैं. कैदी सीधे कुएं में टंग जाता है. 10 से 15 म‍िनट में उसका शरीर शांत हो जाता है.

 

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