नासा का लूसी मिशन बृहस्पति की कक्षा में क्या तलाश करने वाला है? - BBC News हिंदी

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नासा का लूसी मिशन बृहस्पति की कक्षा में क्या तलाश करने वाला है?

इस मिशन पर अगले 12 सालों में 981 मिलियन डॉलर यानी लगभग 73,60 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस दौरान लूसी मिशन सात ट्रोजन के पास पहुंच कर उनका अध्ययन करेगा.इथियोपिया में मिले प्राचीनतम इंसानी जीवाश्म में मानव उत्पत्ति और विकास के बारे में हमारी समझ को बदल दियानासा ने इस अभियान को लूसी का नाम क्यों दिया है, इसके पीछे भी एक कारण है. 1974 में इथियोपिया के हदार नामक जगह से एक मानव कंकाल मिला था. उसके अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने उसे अब तक प्राप्त दुनिया का प्राचीनतम मानव कंकाल बताया था.

बृहस्पति ग्रह पर ट्रोजन की पड़ताल के लिए नासा ने अपने मिशन का नाम इसी लूसी नाम के कंकल पर रखा है. यह अंतरिक्षयान उन जीवाश्मों की तलाश में निकला है जो पृथ्वी से करोड़ों किलोमीटर दूर, बृहस्पति के साथ सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं. कोलोराडो के बोल्डर में साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में लूसी मिशन के प्रमुख शोधकर्ता हैल लेविसन ने बताया, "ट्रोजन ऐस्टेरॉयड अपनी कक्षा में 60 डिग्री तक बृहस्पति के साथ या उसके आगे चलते हैं."

"वो बृहस्पति और सूर्य के बीच के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव की वजह से वहां पर बने हुए हैं. सौरमंडल के इतिहास में जो चीज़ें कहीं रख दी गई हैं वो हमेशा के लिए वहां स्थिर हो गई हैं. लिहाजा, ये चीज़ें वास्तव में जीवाश्म हैं जिनसे हमारे ये ग्रह बने हैं."

 

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