कश्मीरी पंडितों के ख़िलाफ़ हिंसा ऐसी त्रासदी है जिस पर बात करते समय सिर्फ उसी पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए. किसी त्रासदी को तुलनीय बनाना उसका अपमान है. ‘कश्मीर फ़ाइल्स’ के निर्माताओं को यह सवाल करना चाहिए कि क्या वास्तव में कश्मीरी पंडितों की पीड़ा ने उन्हें फिल्म बनाने को प्रेरित किया या उसकी आड़ में वे अपनी मुसलमान विरोधी हिंसा को ज़ाहिर करना चाहते थे?की है. किसी कलाकार के लिए यह उपलब्धि है या नहीं, इस पर बहुत विचार की ज़रूरत नहीं.
सिनेमाघरों से फिल्म देखकर लौटने वालों की जो रिपोर्ट है, उसके मुताबिक़ फिल्म के दौरान और उसके बाद मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाए जा रहे हैं, उनके संहार के लिए उकसावा दिया जा रहा है. एक दर्शक उठकर बाकी दर्शकों से मुसलमान औरतों से रिश्ता बनाने और बच्चे पैदा करने का ‘आह्वान’ करता है. उनकी आबादी घटाने के उपाय करने को कहता है. इस तरह की रिपोर्ट कई जगहों से आई है.
यह भी सुना कि मुसलमानों के अलावा इस फिल्म में कुछ ऐसे पात्र हैं जो कश्मीरी नहीं हैं लेकिन जीवित वास्तविक व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. पत्रकार, लेखक, अध्यापक. फिल्मकारों ने तो उनके वास्तविक नाम नहीं इस्तेमाल किए हैं लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार तंत्र ने बाकायदा कुछ पत्रकारों, अध्यापकों आदि को इनसे जोड़कर इनके खिलाफ घृणा प्रचार करना शुरू कर दिया है. एक शिक्षा संस्थान का भी.
कोई भी कलाकार चाहता है कि उसकी कलाकृति हर तरह के लोग देखें. सिर्फ एक धर्म, एक संप्रदाय के लोगों के लिए वह रचना नहीं करता. बल्कि यह उसकी असफलता होगी अगर उसकी कृति से कोई समुदाय असुरक्षित महसूस करने लगे. इस पर और बात आगे. क्या इस फ़िल्म को प्रतिबंधित करने, न दिखलाए जाने के लिए प्रदर्शन हुए हैं? कोई धमकी कहीं दी गई है? जैसा पहले लिखा, इस फिल्म ने घृणा का जो माहौल बनाया है उसने एक समुदाय और कुछ व्यक्तियों को असुरक्षित कर दिया है. क्या यह चिंता का विषय नहीं है?
वोटों की खातिर नफरत का खेल
सिर्फ एक सच सामने रखना
असली मकसद ध्यान हटाना
सिर्फ और सिर्फ या एक वर्ग के प्रति नफ़रत उपजाना TheKashmirFiles KashmiriPandits दकश्मीरफाइल्स कश्मीरीपंडित
गांधी फिल्म क्यों बनाई थी क्या फिल्म निर्माता ने उस फिल्म के जरिए अंग्रेज विरोधी मानसिकता को प्रदर्शित किया था। आप तो कल भगत सिंह की फिल्म को भी अंग्रेज विरोधी बोलेंगे। सच कड़वा ही होता है
कश्मीर फ़ाइल से मोदी सरकार ने पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी। फ़िल्म के अनुसार सारा दोष भारतीय कश्मीरी मुसलमानों का था! पाकिस्तान ने कश्मीरी पंडितों के कश्मीर से हटाने के लिए कुछ नही किया था। कोई आतंकी नही भेजे थे?
Ek warg ke prati nafrat failana Hain.
thewire_in
अब तो समझो
फिल्म का मक़सद सिर्फ मुस्लिम समुदाय के प्रति नफ़रत फैलाना है..
Hate towards Muslims.
Jab Ghinone kaam karte hain.. Tab Yaad nahi aata.. Ab Izzat ki padi hai.. Ise besharm makkari kehte hain..
The Kashmir files ka agenda shayad jehadi ka chal charitra chehara or mazahab ko benakab karna hai
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