48% पुलिसकर्मियों को लगता है कि मुसलमान आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैंAug 28, 2019, 07:47 AM IST देश के 48% पुलिसकर्मियों को लगता है कि मुसलमान आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं। इनमें 14% को लगता है कि उनके अपराध करने की संभावना बहुत हद तक है, जबकि 34% को लगता है कि यह प्रवृति काफी हद तक है। दूसरी ओर, 56% पुलिसकर्मियों का मानना है कि ऊंची जाति के हिंदू अपराध की ओर नहीं जाते। मंगलवार को जारी लोकनीति और काॅमन कॉज की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई...
12 हजार पुलिस वालों के बीच 12 महीने तक किए गए सर्वे के मुताबिक देश में पुलिस वाले औसतन 14 घंटे रोज काम करते हैं, जबकि 80% पुलिसवालों को 8 घंटे से ज्यादा ड्यूटी करनी पड़ती है। हर दो में से एक पुलिसकर्मी ओवरटाइम करता है। पुलिसकर्मियों के 5 में से 3 परिवार वालों को लगता है कि उन्हें रहने के लिए जो मकान दिया गया है, वह घटिया है। हर दो में से एक पुलिस वाले को वीकली ऑफ नहीं मिलता।हर चार में से तीन पुलिस वालों को लगता है कि उनके काम के घंटों से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।...
भीड़ हिंसा को लेकर 35% पुलिस वालों को लगता है कि गो-हत्या का मामला या कोई दुष्कर्म केस सामने आने पर भीड़ का मारपीट पर उतर आना स्वाभाविक होता है। 37% पुलिसकर्मियों ने समान वेतन और भत्ता मिलने पर ये नौकरी छोड़ने पर सहमति जताई।
Is hi Karan police be kasoor musalmano ke sath bura bartaw karti h
तो असलियत सामने आ ही गयी
ओर दबंगई करने वाले किस जाति धर्म से होते हैं, प्रतिप्रश्न क्यो नही किया जाता।
गलत सोचते है पुलिस वाले , इनको दोनो मुस्लिमो को सोचना चाहिए कि ये दोनों आतंकवादी है
आप हमारे देश की जेल देख लो सबसे ज्यादा कैदी कौन है अपने आप पता लग जायेगा ।
Lgta nai h hota hi h
Koi bhi jail me jav vaha bhi yahi 50% hi hai
Hai to hi lagta hai na
Galat hai kya isme kuch
To hr 10 m se 6 7. To hote hi h Bachpn se abtk dekte sunte are 'Hindu Muslim Bhai Bhai'. Pr aisa h nahi
Kyu ki vo ek police wala RSS vichark bhi ho saketa he!
kaur_ravindra That's a fact
If you still have doubt please check records of criminals in all Magistrate courts in India
Kya bna diye ye log desh ko Kaha tak le jana chahte hai log
To galat kya lagta hai. 😂 😂 😂 🖕🏽
Vo hoty hi hai
BILKUL SAHI HAI 67% JANTA JANTI HAI KI MUSLIMS MOST APRADHIK MAMSIKTA KAI HAI. MUSLIMS KI ABADI 25% SAI KAM HAI AUR APRADH MAI HUSAIDARI 50% KAI AAS PASS HAI. YEH SIRF GUESS NAHI APRADH KAI FIGURES HAI JO POLICE KAI RECORDS BATATAI HAI.
Ye unnka experience bolta hai
बिलकुल सही
पुलिस को क्या सारी दुनिया को यही लगता है
गुड joke, हद है बेवकूफ पंथी की। पुलिस महकमे की असलियत सभी को पता है। आज भी अगर किसी चौराहे पर कही चालान कट रहे होते हैं तो एक बाइक वाला दूसरे बाइक वाले को पहले ही सतर्क कर देता है। ईतिहास गवाह है कि मुसलमान अमन पसन्द है। और कुछ वेले बड़े मजे लेकर कमेंट भी कर रहा है।
I think news channel make criminal
क्राइम रिपोर्ट यही कहती हे। आंकड़े साफ साफ बताते हे कि वास्तव में ऐसा हे। अब इसको स्विकार करने में गलती किया हे। जो सही हे वो सही हे।। कम कैसे हो अपराध उस पर सोचना चाहिए।
90℅logo ko lgta hai ki mulle terrorist hai
pieushsapna Isn’t it true ? Hatred for other religion is also crime, isn’t it ?
और देश के हर नागरिक को लगता है कि पुलिस महाभ्रष्ट है।
Ye baat bilkul sahi hai
All muslims are not terrorist but all terrorist are muslim
Technology pdhen muslman bhai' aage bdhen muslman bhai
10 में 7 को लगता है............केवल 5 बोल रहा है बाकी चुप है
इस्लामिक 56 देश है दुनिया में। और जिस धर्म गुरूर कर रहे हो उसका अपना एक भी देश नहीं है। और वो दिन दूर नहीं जब उसका निशान भी नहीं मिलेगा
Sahi lagta hai
आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा जा सकता है। क्योंकि पढ़ा-लिखा मोमिन भी जिहादी सोच से ग्रस्त है। फिर वो चाहे मुस्लिम जज हो या शाह फैजल अथवा 'ISIS से जुड़ने वाले युवा।
or it's true
बाकी वे जो मुसलमानों को अपना वोट बैंक समझते हैं।
Yeh to kuch neech category ke hinduwon ka manna Hai samaj me jaher failana bi wohi lok karte Hai begunah ko marna, mob lynching kon Kar raha Hai?
तुम हो भड़वे बिके हुए
बात लगभग सहि भी है
ShuvamSengupta ये तो उनका सामान्य व्यवहार है
विश्व मे 99.97% आतंकवादी भी तो मुसलमान ही होते हैं।
पूरी मानवता के लिए कैन्सर है इस्लाम
Police वालों को नहीं पूरी दुनिया को लगता है अमेरिका पिछवाड़े में टॉर्च लगा देता है इन इस्लामिक जहदीयो के
बर्तमान सरकार की ये ही सोच तो पुलिस भी उस से प्रभावित है।
और दैनिक भास्कर मानता है कि शिवरात्रि पर दूध चढाना गलत है पर बकरीद पर बलि चढाना सही है
They r responsible themselves for that
This can be taken in two manners. One is to compare it with empirical data of criminal activities of various communities. and then decide whether their thinking is based on any substantial evidence. 2nd way is to play narative victim game and hush the problem under the carpet
होतें हैं इसमें शक या सर्वे के सर्टिफ़िकेट की क्या ज़रूरत ? जेलो और क्राइम्ज़ के रिकार्ड उठा के देख लो
और देश की जनता 99.9% पुलिस वालो को रिश्वतखोर मानती है
देश के हर नागरिक को लगता है कि पुलिस अपराधी प्रवृत्ति की होती है।
लगता तो सभी को है और सच्चाई भी यही हैं।
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