मध्यप्रदेश में खेती और किसानों की स्थिति में बदलाव लाने के लिए नवाचारों का दौर जारी है और इसी क्रम में महिलाओं को जैविक खेती में दक्ष बनाया जा रहा है, इन्हें 'कृषि सखी' के तौर पर पहचान मिली है. इन कृषि सखियों की अब देश के दूसरे राज्यों से भी मांग आने लगी है और वे प्रदेश से बाहर जाकर किसानों को जैविक खेती के गुण सिखा रही हैं.
राज्य में मिशन ने अब तक 5,000 महिलाओं को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिनमें से लगभग 300 महिलाओं को कृषि सखी के तौर पर चिह्न्ति किया गया है, यही महिलाएं दूसरे राज्यों में जाकर किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दे रही हैं. मिशन के सहायक परियोजना अधिकारी दिनेश दुबे ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, 'आजीविका मिशन का मकसद ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाना है, इस दिशा में खेती में लागत को कम करके आमदनी बढ़ाने के मकसद से जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है. स्वयंसहायता समूह की महिलाओं को जैविक खेती का प्रशिक्षण देने के दौरान सबसे पहले उनके घर में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग खेती में करने का पाठ पढ़ाया जाता है.'
दुबे ने आगे बताया कि इन कृषि-सखियों की दक्षता का संदेश दूसरे राज्यों तक भेजा गया, इसी आधार पर संबंधित राज्यों ने इन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षक के तौर पर आमंत्रित किया. प्रशिक्षण देने वाली कृषि सखियों को संबंधित राज्य की ओर से पारिश्रमिक भी दिया जाता है.
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