इनका स्वाद ऐसा है कि जिसने भी खाया वो इनके स्वाद में खो गया और बस वो इनका दीवाना बनके रह गया. क्षेत्र के बुजुर्ग लोगों का कहना है कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति को इनका स्वाद ऐसा भाया कि वो दिल्ली से मुम्बई की रेलमार्ग से यात्रा के दौरान बयाना के इन लड्डूओं को मंगवाकर अपने साथ ले गये. मावा तैयार हो जाने के बाद इन्तजार किया जाता है उसके ठण्डे होने का. तब तक खास तौर पर तैयार की गयी मिश्री जिसे क्षेत्र में कुंजा मिश्री के नाम से जाना जाता है. इसे बारीक कूटकर मावा में मिलाने के लिये तैयार किया जाता है.
बृज क्षेत्र की समीपता के चलते ठाकुरजी को लगने वाले माखन-मिश्री भोग के चलते यहाँ के हलवाईयों ने इसका एक नया वर्जन तैयार किया और जिसको नाम दिया गया मावा-मिश्री के लड्डू. इन लड्डूओं की विशेषता यह है कि इनमें मिलावट सम्भव ही नहीं है. बयाना के अलावा और किसी जगह का वातावरण इनको बनाने के लिये अनुकूल नहीं है, इसीलिये ये सिर्फ यहीं के बाजार में ही मिल सकते हैं. केवड़ा का अर्क और इलायची पाउडर जो इसे महकदार बनाकर लड्डूओं को लज्जतदार बनाता है.
ऐसे होता है तैयार Rajasthan News Bharatpur News Local 18 News Hindi
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