हिंदी, संस्कृत और गढ़वाली भाषाओं के विद्वान डॉ. जीतराम भट्ट भाषाविद् तो हैं ही साथ में एक अच्छे कहानीकार, नाटककार और गीतकार भी हैं. आपने साहित्य की तामाम विधाओं में रचनाकर्म किया है. बाल कहानी, बाल कविता और बाल गीत में आप सिद्धहस्त हैं. दिल्ली सरकार की हिंदी अकादमी, संस्कृत अकादमी और गढ़वाली, कुमाऊंनी एवं जौनसारी अकादमी के सचिव पद पर लंबे समय सेवाएं देने के उपरांत वर्तमान में आप दिल्ली स्थित प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के निदेशक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. डॉ.
’ मैंने आश्चर्य से पूछा था कि ‘इतने पैर? दादी इतने पैर से वह क्या करता है? चलने के लिए तो दो ही काफी हैं.’ दादी ने कहा कि ‘वह हमारी तरह नहीं चलता है, वह तो सरपट रेंगता रहता है, कभी यहां, कभी वहां. घुसने के लिए जगह ढूंढता रहता है.’ बालमन की उत्सुकतावश मैंने पूछा था ‘दादी! वह कान भी ढूंढता है?’ दादी बोली, ‘हां, जो लापरवाह रहते हैं, झट से उनके कान में घुस जाता है.’ पर मेरे मन की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी, मैंने दादी से फिर पूछा था ‘पर दादी! मैं तो लापरवाह नहीं रहूंगा.
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