दिल्ली दंगेः योगेंद्र यादव, अपूर्वानंद और येचुरी के नाम वाले बयान क्या कोर्ट में टिक पाएंगे?

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सीएए का विरोध कर रहे प्रमुख सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं के नाम डिस्क्लोज़र स्टेटमेंट में आने का आखिर क्या मतलब है.

दिल्ली दंगों की जांच बीते शनिवार-रविवार को सुर्खियों में छाई रही. इसकी वजह थी डिसक्लोज़र बयान जिनमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद, स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव, सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी, अर्थशास्त्री जयति घोष और डॉक्यूमेंट्री फ़िल्ममेकर रॉहुल रॉय का नाम लिया गया है.इस केस में मुख़्य अभियुक्त 'पिंजरातोड़' नाम के अभियान की सदस्यों और जेएनयू की छात्राओं देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और एमबीए की पढ़ाई कर चुकी सीलमपुर की रहने वाली गुलफ़िशा फ़ातिमा हैं.

इसके अलावा दिल्ली दंगे की जांच पर क़रीब से नज़र रखने वाले एक वरिष्ठ वकील ने बीबीसी को बताया,"मैंने तीनों महिलाओं के बयान को पढ़ा है वह कहीं से इस दायरे में नहीं आता. अगर अभियुक्त कह रहा है कि उसे कुछ लोगों ने हिंसा के मकसद से प्रदर्शन करने को कहा था तो इसे साबित करने के लिए किन साक्ष्यों की बात की गई है. अगर ये साक्ष्य की ओर नहीं ले जाते तो ये कहानी मात्र है जो कोर्ट में नहीं टिक पाएगा."

शब्दशः इसी तरह से नताशा नरवाल के भी बयान की शुरुआत होती है. यहां तक कि वर्तनी की गलतियाँ भी हू-ब-हू एक जैसी हैं जैसे पिंजरा तोड़ की एक सदस्य सुभाषिनी को 'सुबासनी' और जयती घोष का नाम 'जैदी घौस' दोनों ही बयानों में एक तरीके से लिखा गया है.इस डिस्क्लोज़र स्टेटमेंट में देवांगना कहती हैं,"हमें बतलाया गया था कि ऐसा प्रोटेस्ट करो कि सेक्युलर लगे. हमें प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने बताया था कि जेसीसी दिल्ली में 20-25 जगह आंदोलन शुरू करवा रही है.

इस बार भी हू-ब-हू यही बयान देवांगना ने भी दिया है. दोनों बयानों में इतनी एकरूपता है कि नताशा अपने ही बयान में कह रही हैं कि वो नताशा से मिलीं. 24 मई के बयान को देखें तो वहां देविका सहरावत का नाम लिखा है. दरअसल. ये देविका शेखावत हैं जो पिंजरातोड़ की सदस्य हैं.नताशा और देवांगना दोनों के ही बयान में कहा गया है,"सीलमपुर में 15 जनवरी को धरने प्रदर्शन शुरू किए गए. उमर ख़ालिद पैसों से मदद करते थे और लोगों को अलगाववादी भाषा में संबोधित करके भड़काने का काम करते था.

गुलफिशा के बयान में आगे लिखा गया है,"योजना के मुताबिक़ इस भीड़ को भड़काने और उत्तेजित करने के लिए बड़े नेता आने लगे जिनमें उमर ख़ालिद, चंद्रशेखर रावण, योगेंद्र यादव, सीताराम येचुरी व वकील महमूद प्राचा और चौधरी मतीन आदि आते थे."अभियुक्त गुलफ़िशा का 27 जुलाई, 2020 को दिया गया डिस्क्लोज़र बयान जिसका ज़्यादातर हिस्सा देवांगना और नाताशा के 26 मई यानी दो महीने पहले दिए गए बयान से हूबहू मिलता है.

 

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लगता है सब एक रणनीति है महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने का जैसे देश बेचना, दिन प्रतिदिन हो रहे घोटाले, सीमा कब्जा, अर्थव्यवस्था, बढ़ती बेरोजगारी और शर्मिंदा करने वाले करोना के आंकड़े वगैरह वगैरह

गिरोहों के नाम दिल्ली दंगों में आने के बाद से ही तुम्हारी टांगे क्यों कांप रही हैं? तुम क्यों नहीं ठीक से खड़े हो पा रहे!!

बिल्कुल नहीं सोची समझी रणनीति के तहत fir है ये।

यदि कुछ गलत नहीं किया तो डर और घबराहट क्यों, उन्हें देश की न्याय व्यवस्था में विश्वास रखना चाहिए.

कानून सभी के लिए एक है | जाे भी कानून का पालन नहीं करेगा, उसे सजा मिलेगी | अब चाहे वह काेई भी हाे |

When navlakha saibaba gang were cought most people said same Now there bail applications are rejected by every court of this country and are in jail

क्यों कानुन से ऊपर हैं क्या ये नक्सली

Asli atanki ka naam Kapil mishra hai usko kyun nahi jail mein daalte ?

कोर्ट में टिके या नहीं इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता ?मुद्दा यह है कि गोदी मीडिया में बिक जायेगा... पैसा वसूल...😂😀🤗

Tim payege. Wait.

U can provide best advocate service to them so that they can be punished 😂

कोर्ट में बयान टिके या न टिंके परंतु पता तो लग गया है यही लोग देश को और समाज को अस्थिर करना चाहते हैं।

दम तो रिया चक्रवर्ती वाले मुकदमे में भी नहीं था।पर,उन्हें कोर्ट से जमानत कहां मिली ॽ

आजकल कोर्ट वही कहती हैं जो, सरकार लिखकर देती है।

सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं ।बिल्कुल नहीं टिक पाएगा।

किंय नही टिक पाएँगे ,क्या दिक्कत है क्या कोई कैस हुवा है उन पर ,कैस दूसरों पर है

No

सरकार आवाज़ उठाने वालों को हमेशा खामोश करना चैट है DeathOfDemocracy is started

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