{"_id":"5c8e2b18bdec22143439c443","slug":"lok-sabha-chunav-2019-gopal-rai-argues-for-full-statehood-to-delhi","type":"blog","status":"publish","title_hn":"\u0926\u093f\u0932\u094d\u0932\u0940 \u0915\u094b \u092a\u0942\u0930\u094d\u0923 \u0930\u093e\u091c\u094d\u092f \u0915\u093e \u0926\u0930\u094d\u091c\u093e \u0928 \u0926\u0947\u0928\u093e \u091c\u0928\u0924\u093e \u0915\u0947...
दिल्ली आज क्यों पूर्ण राज्य का दर्जा मांग रही है? इस सवाल के तार इतिहास से जुड़े हैं। 1911 में दिल्ली ब्रिटिश इंडिया की राजधानी बनाई गई। तब से लेकर आजादी तक दिल्ली को चीफ कमिश्नर के अधीन रखा गया। 1947 में पट्टाभि सीतारमैया कमेटी बनाई गई। इसमें सुझाव दिया कि दिल्ली को केंद्र के निर्देश पर नियुक्त लेफ्टिनेंट गवर्नर के अधीन संचालित किया जाए। 1950 के बाद राजधानी क्षेत्र होने के साथ दिल्ली की बढ़ती आबादी और महत्व के कारण इसे एक विशेष राज्य बनाने की जरूरत महसूस की गई।नेहरू सरकार ने यह व्यवस्था की कि...
दोनों पार्टियों ने पूर्ण राज्य के सवाल को अपने चुनावी मेनिफेस्टो में भी रखा। लेकिन इसके क्रिर्यान्वयन में कोई गंभीरता नहीं दिखाई। पूर्ण राज्य के सवाल से बचने के लिए ये दोनों दल कभी केंद्र तो कभी दिल्ली विधानसभा में अपनी सरकार न होने को वजह बताते रहे। लेकिन ऐसे भी मौके आए, जब केंद्र और दिल्ली विधानसभा दोनों में एक ही दल की सरकारें थीं। यह मौका भाजपा और काांग्रेस दोनों को मिला। लेकिन दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के मसले पर ये टालमटोल करते रहे, कोई ठोस कदम नहीं उठाए।आज भी इस मसले पर इन...
दिल्ली की आबादी तकरीबन 164 देशों से ज्यादा है। इतनी बड़ी आबादी वाले भू-भाग को एक शहर या केंद्र शासित भर कहा देना कहां तक जायज है?दिल्ली की आबादी तकरीबन 164 देशों से ज्यादा है। इतनी बड़ी आबादी वाले भू-भाग को एक शहर या केंद्र शासित भर कहा देना कहां तक जायज है? मुंबई के बाद दिल्ली मुल्क का दूसरा सबसे ज्यादा कर देने वाला शहर है। दिल्ली की जनता केंद्र को कर के रूप में डेढ़ लाख करोड़ रुपए देती है। इसके बदले में दिल्ली के विकास के लिए उसे महज तीन सौ पच्चीस करोड़ मिलता है। दिल्ली की जनता के आधे पैसे का भी...
संसदीय लोकतन्त्र में जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार पर होती है। सरकारें अपनी जनता के प्रति जवाबदेह होती हैं। जबकि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास सुरक्षा जैसे अहम मसले पर किसी भी तरह का फ़ैसला करने का हक़ ही नहीं है। दिल्ली की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी दिल्ली पुलिस के पास है, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। केंद्र के पास भारत जैसे विशाल देश की ज़िम्मेदारी है, ऐसे में दिल्ली की सुरक्षा का अतिरिक्त बोझ प्रशासनिक कुशलता के लिहाज से भी सही नहीं है। अपराध के मामलों में दिल्ली देश के कई...
दिल्ली राजधानी है-जहाँ हर भारतवासी को आने जाने का निर्बाध अधिकार है, जिस दिन राजधानी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला उसी दिन धूर्त नेता राजधानी को अपने बाप की जागीर समझकर ममता बनर्जी की तरह धरने पर बैठ कर अन्य राज्य के प्रतिनिधियों/अधिकारियों के प्रवेश में बढ़ उत्पन्न कर देगा
टोपी से ईमानदार शब्द हटा दो बहरूपिये हो तुमसब
चौकीदार_ही_चोर_है चौकीदार_ही_चोर_है चौकीदार_चोर_है चौकीदार_चोर_है चौकीदार_ही_चोर_है चौकीदार_ही_चोर_है चौकीदार_चोर_है चौकीदार_चोर_है चौकीदार_ही_चोर_है चौकीदार_ही_चोर_है चौकीदार_चोर_है चौकीदार_चोर_है चौकीदार_ही_चोर_है चौकीदार_ही_चोर_है चौकीदार_चोर_है
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