चंद्रशेखर आजाद रावण ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में छोटी लकीर खींचने की कोशिश की। संगठन और राजनैतिक हैसियत के मुताबिक। वो समाजावादी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार अखिलेश यादव से मिले। दो सीटों का ऑफर मिला। ठुकरा दिया। एक टीवी चैनल पर ओमप्रकाश राजभर के सामने रोने लगे। बात नहीं बनी और पहले फेज की लड़ाई सामने है। दलित बच्चों में शिक्षा के जरिए अलख जगाने के लिए बनी भीम आर्मी का राजनैतिक अवतार आजाद समाज पार्टी वजूद की तलाश में सहारनपुर में भटकता या रावण कुछ और करते। तो उन्होंने उत्तर प्रदेश के...
गोरक्षधाम की धरती से ही सारी ऊर्जा हासिल करने वाले योगी को उनके ही किले में चंद्रशेखर आजाद कितनी टक्कर दे पाएंगे ये 10 मार्च को पता चलेगा। आजाद समाज पार्टी के गठन के दो साल पूरा होने से ठीक पांच दिन पहले। कांशीराम को आदर्श मानने वाले रावण ने उनकी जयंती पर 15 मार्च को ही पार्टी बनाई थी। जब 20 जनवरी को आजाद समाज पार्टी ने प्रेस रिलीज जारी किया तो लगा पश्चिमी यूपी की जिन 58 सीटों पर पहले फेज का चुनाव है उसके लिए कुछ उम्मीदवार होंगे। पर तीन पंक्तियों के रिलीज में लिखा था रावण गोरखपुर से ताल...
1.दलित वोट बैंक में सेंधमारी - अखिलेश यादव से बात नहीं बनने के बाद आजाद ने लखनऊ में दर्द साझा किया था। उन्होंने कहा कि पीठ में दर्द के बावजूद मैं दो दिनों में तीन बार मिला लेकिन उनको दलित नेता की जरूरत ही नहीं है। जैसे दलितों का वोट ऐसे ही मिल जाएगा। गौर कीजिएगा..
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5. गोरखनाथ: दलित आस्था के केंद्र में चोट - ये चंद्रशेखर आजाद का मंसूबा हो सकता है। कितना सफल होंगे कहना मुश्किल है। क्योंकि जातीय समीकरणों के लिहाज से गोरखपुर सदर सीट पर दलित निर्णायक नहीं कहे जा सकते। आकलन के मुताबिक यहां के 4.5 लाख वोटरों में 95 हजार कायस्थ, 55 हजार ब्राह्मण हैं.
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