हालांकि हाल के दिनों में दैनिक मामलों की संख्या में मामूली कमी आई है, लेकिन ज्यादातर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले त्यौहारों का मौसम चुनौतीपूर्ण होगा।
मौजूदा स्थिति कितने समय तक रहेगी, इस बारे में कोई निश्चितता नहीं है, लेकिन जिस तरह दुनिया कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है, हम अपने पड़ोसी एशियाई देशों से कुछ सबक सीख सकते हैं, जो अमीर तो नहीं हैं, लेकिन हमारे देश की कई विशेषताएं उनमें हैं। आखिर उन्होंने क्या किया? हाल ही में एक प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका फॉरेन अफेयर्स में एक लेख प्रकाशित हुआ-एन एशियन पैनडैमिक सक्सेस स्टोरी, जिसमें बताया गया कि एक क्षेत्र के रूप में पूर्वी एशिया ने उन सबकों से सीखा, जो पहले वायरस के प्रकोप के दौरान प्रकट हुए थे। इस प्रभावशीलता के मूल में सार्स वायरस से सीखे गए सबक हैं।
यह वह पहला देश था, जिसे 2003 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम या सार्स को नियंत्रित करने की मान्यता दी थी। उसके तुरंत बाद, इसने एच5एन1 बर्ड फ्लू से भी सफलतापूर्वक मुकाबला किया था। नई रणनीति के अलावा इन बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की गई कई रणनीतियों को कोविड-19 महामारी के दौरान भी उपयोग किया गया।
भारत में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च जीडीपी के एक फीसदी से थोड़ा ज्यादा है, जो दुनिया में सबसे कम खर्च करने वाले देशों में से एक है। हम अपने उन पड़ोसी एशियाई देशों से यह महत्वपूर्ण सबक सीख सकते हैं, जो मौत के आंकड़े को दहाई अंकों तक सीमित रखने में कामयाब रहे। महामारी ने सभी देशों को हैरान किया, लेकिन कुछ देश इससे निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार और सुसज्जित थे।
मौजूदा स्थिति कितने समय तक रहेगी, इस बारे में कोई निश्चितता नहीं है, लेकिन जिस तरह दुनिया कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है, हम अपने पड़ोसी एशियाई देशों से कुछ सबक सीख सकते हैं, जो अमीर तो नहीं हैं, लेकिन हमारे देश की कई विशेषताएं उनमें हैं। आखिर उन्होंने क्या किया? हाल ही में एक प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका फॉरेन अफेयर्स में एक लेख प्रकाशित हुआ-एन एशियन पैनडैमिक सक्सेस स्टोरी, जिसमें बताया गया कि एक क्षेत्र के रूप में पूर्वी एशिया ने उन सबकों से सीखा, जो पहले वायरस के प्रकोप के दौरान प्रकट हुए थे। इस प्रभावशीलता के मूल में सार्स वायरस से सीखे गए सबक हैं।
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