अपनी शुरुआत से करीब तीन साल में ही 'एक देश एक टैक्स' का बहुप्रचारित सिस्टस वस्तु एवं सेवा कर गहरे संकट में फंस गया है. केंद्र सरकार ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार किया है कि जीएसटी के तहत निर्धारित कानून के तहत राज्यों की हिस्सेदारी देने के लिए उसके पास पैसे नहीं है. जीएसटी सिस्टम 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था.
यह मीटिंग काफी समय से लंबित थी. मीटिंग में विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस मसले को उठाया कि पिछले कई महीनों से केंद्र सरकार राज्यों का हिस्सा नहीं दे रही है जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.जीएसटी कानून के मुताबिक यह तय किया गया था कि इस सिस्टम को लागू करने से राज्यों को राजस्व का जो नुकसान होगा उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी. आधार वर्ष 2015-16 को मानते हुए यह तय किया गया कि राज्यों के इस प्रोटेक्टेड रेवेन्यू में हर साल 14 फीसदी की बढ़त को मानते हुए गणना की जाएगी.
विपक्षी दलों का कहना है कि खासकर वे राज्य इस समय भारी वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं जिन्हें कोरोना से निपटने, प्रवासियों की मदद और बेरोजगारी को दूर करने के लिए भारी खर्च करना पड़ रहा है. विपक्षी दल वित्त सचिव के बयान से काफी नाराज हैं. उनका कहना है कि 'सरकार राज्यों के प्रति अपनी जवाबदेही से कैसे मुकर सकती है.'इस समिति के एक सदस्य ने आजतक-इंडिया टुडे को बताया, 'केंद्र सरकार जीएसटी कानून को लागू करने के लिए काफी जल्दबाजी में थी.
सरकार द्वारा तैयार एक बैकग्राउंड नोट के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2020-21 में केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जीएसटी मुआवजे के रूप में 15,340 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जबकि कोरोना संकट की वजह से जीएसटी कलेक्शन में भारी गिरावट आई है.बचे हुए हैं कम्पेनसेशन सेस के पैसे!
Bhai GDP wala debate bhi tv pe karo yaar yeh Ram mandir,Rafale,Modi,Congress,RahulSonia, pe kab tak debate chalega.Anjana om kayshap,Rohit Sardan,Sweata singh,Chitra triphati.etc....
Par tum log dalali karte raho
मोदीजी की सबसे बड़ी चूक GST जैसे बदलाव के लिए जेटली पर विश्वास करना थी और आज भी वो चूक ही कर रहे है, निर्मला सीतारमण पर विश्वास करके।।
GST दर और बढ़ाने का मतलब है सरकार दिवालिया घोषित है और कोडियों के दामों पर सरकारी संस्थाओं को दोस्तों मैं बाँट रही है। 14 रुपये वाला पेट्रोल 82 रुपये, ज्यादातर वस्तुओं पर GST दर 18 से 28%. बेचने के सिवाय काबलियत नहीं कुछ भी मैनेज करने की।
Ji bhi ana hai public ki jeb se aana hai jab tak govt public ke bhle ke liya nhi sochegi uska khud ka bhi kuch nhi ho payga.aakhir kitna nichor legi public ko .
Abhi bhi kisi minister se puchne pe khaega ki sab thik hai koi aarthik sankat nahi hai.
इसके चक्कर में पूरा देश फंस चुका है।
Led लगाने के लिए पैसा हे विघ्यापन के लिए पैसा हे लेकिन जब राज्य को पैसा देने की बात आइ तो पैसा नहि हे
Sara paisa MLA kharidne k liye kharch hogaye
Centre Released Rs. 1,65,302 Crore as GST Compensation to States/UTs for the FY 2019-20 against cess collection of Rs. 95,444 crore. To release compensation for 2019-20, balance of cess amount collected during 2017-18 and 2018-19 was also utilised.
GST नही होता तब भी संकट होता इस माहौल मे
Kharcha bahut h govt ka MLA khareedne h Event show karwane h Court walo ke Media houses ke 😁😁
Incompetent people are running the government I am talking about the official not the leader because they are responsible for this
तो ये बात केंद्र सरकार कबूल कर की गलती हो गई है । जिसका विरोध कांग्रेस के टाइम किया उसको लाने की जरूरत क्या थी।।।
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