8 नवंबर 2016, ये वो तारीख है जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात 8 बजे बड़ा ऐलान करते हुए नोटबंदी लागू कर दिया था. इस साल नोटबंदी को तीन साल हो गए. नोटबंदी के ऐलान के बाद कुछ दिन देश में अफरातफरी का माहौल रहा. बैंकों के बाहर लंबी कतारें लगी रहीं. इस दौरान उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में कुछ ऐसा हुआ, जिसका जश्न समाजवादी पार्टी हर साल मनाती है.
दरअसल, 2 दिसंबर 2016 को कानपुर देहात की एक महिला ने बैंक की लाइन में एक बच्चे को जन्म दिया. इस बच्चे का नाम यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खजांची रखा. अखिलेश हर साल उसका जन्मदिन भी मनाते हैं. पिछले साल ही अखिलेश ने खजांची के दूसरे जन्मदिवस पर उसे घर गिफ्ट में दिया. इस बार लखनऊ में सपा के दफ्तर में खजांची का जन्मदिन मनाया जाएगा. कहा जा रहा है कि इसमें खुद अखिलेश यादव भी शामिल होंगे.
इस घर के बारे में खास बात यह है कि लोहे और कंक्रीट से बना यह आवास गांव में नहीं बना बल्कि दिल्ली से लाकर यहां फिट किया गया. बता दें कि खजांची का पैतृक गांव सरदार पुरवा है लेकिन खजांची की मां सर्वेषा देवी ससुराल वालों से तंग आकर अपने मायके अनंतपुर गांव में खजांची के साथ रह रही हैं. इसलिए अखिलेश ने एक घर खजांची के पैतृव गांव और दूसरा घर उनके ननिहाल अनंतपुर भेजा.नोटबंदी के दौरान खजांची की मां सर्वेषा दो दिसंबर को पंजाब नेशनल बैंक जाकर पैसा निकालने के लिए सुबह 11 बजे से ही लाइन में लगी थी.
लोकसभा चुनाव के दौरान कन्नौज में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के रोड शो की एक तस्वीर अखिलेश यादव ने ट्वीट की थी. तस्वीर में डिंपल खजांची को गोद में ली हुई थीं. अखिलेश ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि विकास पूछ रहा है कि इस बच्चे को पहचाना क्या? यह वही खजांची है, जो नोटबंदी की लाइन में पैदा हुआ था.
Mil Gaya to Khushi Mana rahe hain Bhatija Hamare Bhatija Ne Kaha Hamare papa ji Ham bhi chalenge Se Kabhi Bhi Intezar Ki Galiyon Mein beta Ko Yad kar lena Kabhi kabhi bete ko bhi Yad kar lena Mere Lal Tumne apni gand mara ke Kho Gaye Yad Karti Hai Tum Intezar Mein Kisi Se marva L
Time paas karne ke liye kuch bhi bekaar ke news layege
आज तक चैनल भी मुरीद है लेकिन अपनी असलियत नहीं बताएगा
Matlab kuch b
yadavakhilesh ने समाजवादी पार्टी को नवाजवादी पार्टी बना दिया है...मुझे कही समाजवाद दिखता नही है
कमाल है मन्त्री बनने के लिए कुछ भी कर सकते हैं नेता लोग जनता तो अपना दुःख किसे बताए और नेता लोग जान कर भी उनका दुख दूर नहीं कर सकता क्योंकि जो अपने बाप का नहीं वो देश का क्या होगा
8 nov. होते ही मीडिया को मौका मिला गड़े मुर्दे उखाड़ने का । फ़िजूलों को बेठा कर नोटबन्दी पर बहस का ।
Toti Chor ki godd mein chara Chor lalu
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