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यह माना जाता है कि सन 616-18 के आस-पास तांग राजवंश के काल में कुछ अरब और ईरानी व्यापारियों ने चीन तक पहुंचने की हिम्मत की और उन्हें चीनी सम्राट ने यह छूट दी कि वे अपना धर्म-प्रचार भी करें। धीरे-धीरे कजाक, उजबेक, ताजिक, तुर्कमान और किरगीज लोग, जो मध्य एशिया में रहते थे, वे भी आकर चीन में बसने लगे। इस समय चीन में मुसलमानों की संख्या दो करोड़ से भी ज्यादा है।
‘हुई मुसलमानों’ के मुकाबले मध्य एशिया के मुसलमानों का दबदबा ज्यों ही बढ़ने लगा, चीनी सम्राटों ने बड़ी बेरहमी से उन्हें मौत के घाट उतारना शरू कर दिया। ‘हुई मुसलमान’ तो किसी तरह चीन में खपते रहे लेकिन शिन च्यांग के उइगर मुसलमानों ने बगावत का तेवर अख्तियार कर लिया। चीन के उइगर मुसलमान मुख्यतः शिन-च्यांग नामक प्रांत में रहते हैं। इसे सिंक्यांग भी कहते हैं। यह चीन के उत्तर और पश्चिम में है।
चीनी सरकार ने मुझे तिब्बत कभी नहीं जाने दिया लेकिन मुझे चीन के इस मुस्लिम प्रांत में अनुवादक के जरिए बात करने का और कई स्थानों पर जाने का मौका भी मिला। कुछ उइगर नेताओं और प्रोफेसरों से फारसी में खुलकर सीधे बात करके मुझे अनेक विशिष्ट जानकारियां भी मिलीं। मुझे कई उइगरों ने कहा कि वे यहां गुलामों की जिंदगी जी रहे हैं। उन्हें मस्जिदों में जाने से रोका जाता है। उन्हें दाढ़ी नहीं रखने दी जाती है।
DrVaidik हिन्दुस्तान में भी गुम्मद और मीनारें मसजिद से हटा देना चाहिए।
DrVaidik ये सब पैसे का प्रताप है । मनी कुमार के आगे सब फेल हैं । ये सब अभी चीन में हुआ है। कुछ समय बाद चीन ये काम पाकिस्तान में भी हो जायेगा और ये भिखमंगे पाकिस्तानी खुशी खुशी अपने आप ही करवाएंगे ।।।
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