नए पाकिस्तान का नारा देकर प्रधानमंत्री बने इमरान खान के लिए इन दिनों कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. जहां पिछले एक साल में अमेरिकी डॉलर के सामने पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू 25 फीसदी गिर गई है. वहीं, शेयर बाजार में निवेशकों का 1 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपया डूब चुका है. आलम ये हैं कि हाल में आए आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर इंडस्ट्री डूबने की कगार पर आ गई हैं. ऐसे में कंगाल होती अर्थव्यवस्था को एक और झटका लग सकता है.
इससे देश के पास अमेरिकी डॉलर की कमी हो गई. हमारे पास इतने डॉलर नहीं बचे कि हम अपने कर्ज़ों की किस्त चुका सकें. मुझे डर हैं कि कहीं पाकिस्तान डिफॉल्टर ना हो जाए.शुक्रवार को एफएटीएफ ने पाकिस्तान को इनहेन्स्ड एक्सपीडिएट फॉलोअप लिस्ट में डाल दिया. पिछले साल संस्था ने उसे अपनी ‘ग्रे लिस्ट’ में स्थान दिया था. संस्था के मुताबिक, पाकिस्तान उनके मानकों पर खरा नहीं उतरा इसलिए यह कार्रवाई की गई है.
पाकिस्तान पर कार्रवाई का यह फैसला कैनबरा की बैठक में लिया गया. इस दौरान 7 घंटे तक चर्चा हुई. एक भारतीय आधिकारी ने कहा कि अब पाकिस्तान को अक्टूबर में ब्लैकलिस्ट से बचने पर ध्यान देना होगा. जब एफएटीएफ की 15 महीने की समय-सीमा खत्म हो जाएगी. वहीं, इमरान खान के पिछले एक साल में देश की महंगाई 11 फीसदी हो गई है और शेयर बाजार की मार्केट वैल्यू 1 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये गिर गई है. इस दौरान KSE-100 इंडेक्स 12,596 अंक गिर गया है.यह दुनिया भर में आतंकी संगठनों को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर नजर रखने वाली इंटरनेशनल एजेंसी है. यह एशिया-पैसिफिक ग्रुप मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग, जनसंहार करने वाले हथियारों की खरीद के लिए होने वाली वित्तीय लेन-देन को रोकने वाली संस्था है. इस संस्था की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होती है.
1989 में जी-7 शिखर सम्मेलन हुआ था और उसी में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का गठन किया गया था. इसका सचिवालय पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के मुख्यालय में है. 2001 में इसके कार्य क्षेत्र को विस्तार दिया गया और आतंकवाद को धन मुहैया कराने के विरूद्ध नीतियां बनाना भी इसके कार्यक्षेत्र में शामिल कर लिया गया.एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान पहले से शामिल है. अगर वो इस लिस्ट से बाहर आना चाहता हैं तो उसे FATF के 36 में से 15 सदस्यों के वोट चाहिए होंगे.
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