ट्रॉली नहीं, ट्रक भरकर बेच सकेंगे धान, इतनी होगी पैदावार, एक्सपर्ट से जान लें खेती का तरीका

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कृषि विशेषज्ञ शिव शंकर वर्मा ने लोकल 18 से कहा कि धान की पारंपरिक तरीके से खेती करने पर अत्यधिक श्रम पानी के साथ ही अत्यधिक लागत आती है. इसीलिए डीएसआर विधि से खेती करके किसान कम लागत कम पानी में अत्यधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

सौरभ वर्मा/ रायबरेली. खरीफ की फसल का सीजन चल रहा है. इस सीजन में धान की फसल को खरीफ की मुख्य फसलों में से एक माना जाता है. धान की खेती करने वाले किसानों ने फसल रोपाई के लिए तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए किसान सबसे पहले धान की नर्सरी करते हैं. उसके बाद खेतों में पौधे की रोपाई की जाती है .इस कार्य में किसानों को मेहनत के साथ ही अधिक लागत आती है. धान की रोपाई करने के लिए मजदूरों के साथ ही खेत में अधिक पानी की जरूरत पड़ती है.

इसके साथ ही या तकनीकी पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी कारगर होती है. यह फसल पर खरपतवार पर नियंत्रण में भी आसान बनाती है. इस तकनीकी से अत्यधिक उपज पाने के लिए किसानों को ध्यान देना होगा. आपके पास सिंचाई के संसाधन उपलब्ध हो तो हल्की बनावट वाली बलुई दोमट मिट्टी में 100 से 135 दिन वाली प्रजातियों का चयन करें. जबकि, भारी बनावट वाली मिट्टी के लिए 135 से 165 दिन वाली माध्यम से देर तक पकने वाली किस्म का चयन करना चाहिए.

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