के मुकदमे में अपना फैसला सुनाते हुए सोमवार को जस्टिस तेजविंदर सिंह ने कहा कि इस मामले में बच्ची से सामूहिक बलात्कार और हत्या से ऐसा लगता है कि समाज में 'जंगल का कानून' है. जस्टिस ने अपराध की जघन्यता दर्शाने के लिए अपने फैसले की शुरुआत में मिर्जा गालिब की गजल की यह पंक्तियां लिखीं - ‘‘पिन्हा था दाम-इ-सख्त क़रीब आशियां के, उड़ने न पाए थे कि गिरफ्तार हम हुए ." जस्टिस ने कहा कि कठुआ कांड के तथ्यों पर यह पंक्ति पूरी तरह से चरितार्थ होती है.
सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में पश्चिम बंगाल में एक सेक्स वर्कर की हत्या के मामले में अपने फैसले में मिर्जा गालिब की इन्हीं पंक्तियों का जिक्र किया था. लगभग 367 दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनाए गए फैसले में सिंह ने तीन आरोपियों को आपराधिक षड्यंत्र और हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि सबूत मिटाने के जुर्म में तीन अन्य को पांच साल जेल की सजा सुनाई. एक आरोपी विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया गया. करीब 17 महीने पहले हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था.
हाईकोर्ट ने सात मई 2018 को आदेश दिया था कि मामले को जम्मू-कश्मीर के बाहर भेजा जाए जिसके बाद इसे जम्मू से करीब 100 किलोमीटर और कठुआ से करीब 30 किलोमीटर दूर पंजाब के पठानकोट के जिला एवं सत्र न्यायालय में पिछले वर्ष जुलाई के पहले हफ्ते में भेजा गया. मामले की अदालत में रोजाना सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मीडिया की सुर्खियों से दूर और बंद कमरे में हुई मुकदमे की पूरी सुनवाई के बाद सिंह ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया.
यह हास्यास्पद है कि रेप, मर्डरऔर घोटालेबाजी मनीलांड्रिंग जैसे केस वकीलों की कलाबाजी के कारण लम्बे समय तक अनिर्णीत रहकर और घोटालेबाज को जमानत पर जमानत देकर पीड़ित और व्यवस्था को मुँह चिढ़ाते हैं।फिर भी न्यायपालिका अपनी व्यवस्था से सन्तुष्ट रहती है।
That's why culprits are not given death panelty...
निर्णय में देर हुई इसे जल्द आना चाहिए था भारत की न्याय व्यवस्था कमजोर है
Inki sazaa death sentence ho sirf
साझीराम और अन्य ने नार्को टेस्ट जाँच की मांग रखी जिसे अस्वीकार क्यो किया गया आसिफा के न्याय के नाम पर करोड़ों का चंदा इकट्ठा किया गया जिसका कोई हिसाब नहीं शहला रशीद और एक लेडीस वकील दोनों ने इस पैसों से भरपूर अय्याशी की और इसके गैंग ने आपस मे बांट लिया.. बहुत से संभाल ?
फिर भी किसीने अभी तक ये आवाज़ नही उठाई है कि उम्र कैद की सज़ा एकदम से कम है..मृत्यु दंड के अतिरिक्त ओर कोई सज़ा नही बचती है ऎसे 'नर पीशाची' कृत्यो के लिऐ..👈👈👈
बस जज साहाव इये तर्क समझाने में नाकाम रहे, एक ही घटना में एक आरोपी निर्दोश है, तो वकीओ को कैसे नेही फसाया गया जिसको सबुत माना गया, स्पष्ट रुप से साबित होता है, फसाने के लिए कैसे काहानी गड़ी गयी कुछ इसि प्रकार कि काहानी वाकी आरोपीओ के खिलाफ कैसे नेही हो सकता
कठुआ कठुआ कठुआ माना जो हुआ बहुत बुरा था और उसको कोई सपोर्ट भी नहीं कर सकता लेकिन अलीगढ़ और बाकी जगहों पर शांतिदूतों के द्वारा किया गया कुकर्म क्यों नहीं दिखता जज साहब
Hang all rapist on middle of Road so that people understand their is rule of law in India
Judge sahab ki maa ki aankh, Faanshi kyo nhi di...
Jo muje follow karega,use Follow back pakka😊😎
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