जलवायु परिवर्तन: अपने जंगलों को कैसे बचा पाएंगे हम - दुनिया जहान - BBC News हिंदी

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जलवायु परिवर्तन: अपने जंगलों को कैसे बचा पाएंगे हम - दुनिया जहान

इस सप्ताह पड़ताल इस बात की कि जंगलों को बचाने की हमारी रणनीति क्या वाकई कारगर है. 2030 तक वनक्षेत्र बढ़ाने का जो लक्ष्य है क्या हम वो हासिल कर पाएंगे.ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं. साल 2000 के बाद से इस संगठन ने सैटलाइट तस्वीरों के ज़रिए ये समझने की कोशिश की है कि वक्त के साथ जंगल कैसे बदल रहे हैं.के अनुसार 1990 के बाद से दुनिया में 42 लाख वर्ग किलोमीटर ज़मीन से जंगल ख़त्म हो गए हैं. इसमें अधिकतर अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया के हिस्से हैं.

मिकेला कहती हैं, "ये भारत के कुल विस्तार से भी बड़ा है. कुछ हिस्से प्राकृतिक रूप से जंगल की आग की भेंट चढ़े तो कुछ पेड़ उम्र पूरी होने पर गिर गए. लेकिन प्राकृतिक तौर पर यहां पेड़ फिर उगेंगे." मिकेला कहती हैं कि चिंता तब बढ़ जाती है जब जंगलों के अनछुए हिस्सों में पेड़ों की कटाई होती है या उन्हें जलाया जाता है. वो कहती हैं, ऊष्णकटिबंधीय जंगलों के बड़े हिस्से इस तरह के बड़े बदलाव झेल रहे हैं.

वो कहती हैं, "साल 2000 के बाद ब्राज़ील, इंडोनेशिया और कॉन्गो गणराज्य ने सबसे अधिक जंगल खोए हैं. ऊष्णकटिबंधीय जंगलों का एक बड़ा हिस्सा इन देशों में हैं. ब्राज़ील में बड़े पैमाने पर जंगल काटे जा रहे हैं, इंडोनेशिया में पाम ऑयल की खेती के लिए जंगल साफ किए जा रहे हैं. कॉन्गो में छोटे पैमाने पर खेती बढ़ रही है और देश के भीतर जारी संघर्ष के कारण लोग जंगलों का रुख़ कर रहे हैं और जंगल साफ कर खेत बना रहे हैं.

लेकिन जंगलों के ख़त्म होने से केवल जलवायु परिवर्तन का ही ख़तरा है ऐसा नहीं है. ये जंगल सैंकड़ों आदिवासी समुदायों का ठिकाना रहे हैं. जानवरों की हज़ारों प्रजातियां भी इन जंगलों में हैं.

 

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Tree ko kaat ke ....

जब कोई सरकार दल सड़क बनाने को आय साधन बना ले! और बनाने के तरीके पर पर्यावरण विद् तक चुप्पी साध लें अन्य दल के चुप तो जंगल बचा पाना नमुमकिनसा ही!

नये जंगल लगाकर।

हमारे पास जंगल बचे ही कहा है? अडानी, अबांनी को मुफ्त मे देने के लिए अगर सरकार के पास जमीन होती, तो किसानो की मांगे मानकर सरकार कीसान आंदोलन को खत्म कर चुकी होती।

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