दुनियाभर सभी बड़े देशों के चिंता का कारण पृथ्वी का बढ़ता तापमान है। इसे 2015 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में कई समझौते भी हुए। अब एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को लेकर अपनी भागीदारी से समूचे विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। हालांकि पेरिस समझौते के लक्ष्य को हासिल करने से वह अभी पीछे है।
भारत ने वादा किया था कि 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 33 से लेकर 35 फीसदी तक कमी लाएगा। लेकिन चिंता की बात ये है कुछ ही सालों में पृथ्वी के तापमान में अचानक तेजी से बदलाव हो रहे हैं। वहीं पृथ्वी का औसत तापमान अभी लगभग 15 डिग्री सेल्सियस है। आपको बता दें, पर्यटन और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर दूर दराज के समुदायों को सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने वाले भारतीय संगठन ने कोविड-19 महामारी के बीच भी जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता है। ग्लोबल हिमालयन एक्सपीडिशन उन विजेताओं में शामिल हैं जिन्हें इस वर्ष यूएन ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।
भारत ने वादा किया था कि 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 33 से लेकर 35 फीसदी तक कमी लाएगा। लेकिन चिंता की बात ये है कुछ ही सालों में पृथ्वी के तापमान में अचानक तेजी से बदलाव हो रहे हैं। वहीं पृथ्वी का औसत तापमान अभी लगभग 15 डिग्री सेल्सियस है।
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।