जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं. अर्धसैनिक बलों की करीब एक हजार कंपनियां घाटी में तैनात हैं. यानी राज्य में अर्धसैनिक बलों के करीब एक लाख जवान सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए हैं. घाटी में इससे पहले इतने सुरक्षाबलों की तैनाती पुलवामा हमले के बाद और बालाकोट एयरस्ट्राइक से पहले की गई थी.
सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर में आतंकी हमले का इनपुट मिलने के बाद 100 अर्धसैनिक बलों की कंपनियों को भेजा गया था. दो दिन पहले 80 और कंपनियों को घाटी में भेजा गया है. इसके अलावा अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए लगाए गए 320 अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त कंपनियों को भी घाटी की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया है.घाटी में करीब 450 अर्धसैनिक बलों की कंपनियों की नियमित तैनाती रहती है. अर्धसैनिक बलों की ये तैनाती सेना और प्रदेश पुलिस की तैनाती से अलग है.
जम्मू और कश्मीर को लेकर अटकलों का दौर जारी है. राजनीतिक पार्टियों में हलचल तेज है कि कहीं केंद्र सरकार अनुच्छेद 35ए या फिर धारा 370 पर कोई बड़ा फैसला न ले ले. हालांकि, अभी तक सरकार की ओर से इस बात पर किसी तरह का बयान नहीं आया है.कश्मीर में सेना की अतिरिक्त तैनाती, बड़े नेताओं का नजरबंद होना किसी सियासी संकेत की ओर इशारा कर रहे हैं. श्रीनगर और जम्मू में सुरक्षा के मद्देनजर धारा 144 लागू कर दी गई है. आम लोगों को बाहर ना निकलने के लिए कहा गया है.
पूरी घाटी में मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है. पहले सिर्फ मोबाइल सेवा रोकी गई और उसके बाद में लैंडलाइन सर्विस भी रोक दी गई है. ऐसे में सुरक्षाबलों को अब सैटेलाइट फोन दिए गए हैं, ताकि किसी भी स्थिति को संभाला जा सके.देर रात को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और सज्जाद लोन को नजरबंद कर दिया गया. दोनों ही नेताओं ने रात को ट्वीट कर खुद इसकी जानकारी दी, दोनों ही नेता लगातार ट्वीट कर अपील कर रहे थे कि सरकार को साफ करना चाहिए कि कश्मीर में क्या हो रहा है.
jitendra Dear AajTak do not panic or show which is not appropriate plz PMOIndia AmitShah
jitendra Mere दोस्त पूछ rahe ह कश्मीर me kya हो raha ह मेने बोल दिया सेना pubg khel rahi h
jitendra जम्मू कश्मीर में अब वह होगा जो पहले कभी नहीं हुआ था। इतने दिन तक देश में गलत नीति चल रहा था जिसका फल आज पूरा देश भुगत रहा है।
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