जब भी आपातकाल के क्रूर दौर का जिक्र होगा, उस दमन के विरोध के प्रतीकस्वरूप 'बागी' नेता जॉर्ज फर्नांडिज की उस तस्वीर का भी जिक्र होगा. संभवतया इसी कारण करिश्माई नेता जॉर्ज को विद्रोही तेवर का नेता कहा गया. जार्ज साहब के निधन के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की कि उनकी हथकड़ी वाली मुर्ति सरकार लगवाएगी.
लालकृष्ण आडवाणी ने पिछले साल एक कार्यक्रम में जॉर्ज फर्नांडिस को 'बागी' नेता कहा. आडवाणी ने कहा कि देश की तरक्की और विकास के लिए ऐसे नेताओं की जरूरत होती है. आडवाणी ने कहा, ''यदि विद्रोह नहीं होते तो देश को आजादी भी नहीं मिलती. जॉर्ज जैसे बागी नेताओं को आते रहना होगा ताकि देश तरक्की और विकास कर सके.'' आडवाणी ने कहा था, 'नई पीढ़ी के लोगों को शायद ही समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस याद होंगे. वही जॉर्ज फर्नांडिस जिनकी एक आवाज पर हजारों गरीब-गुरुबा एकत्र हो जाते थे.
1971 के आम चुनाव में 'गरीबी हटाओ' के नारे के साथ प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली इंदिरा गांधी ने जब उसी साल के अंत में पाकिस्तान को युद्ध में शिकस्त दी और बांग्लादेश दुनिया के नक्शे पर आया तो किसी दौर में 'गूंगी गुडि़या' कही जाने वाली इंदिरा गांधी को 'मां दुर्गा' कहा गया. उनको 'आयरन लेडी' कहा गया. उसी साल उनको भारत रत्न से भी नवाजा गया. लेकिन अगले कुछ वर्षों के भीतर ही इंदिरा गांधी की सत्ता का इकबाल जाता रहा.
मामला 1971 में हुए लोकसभा चुनाव का था, जिसमें उन्होंने अपने मुख्य प्रतिद्वंदी राज नारायण को पराजित किया था. लेकिन चुनाव परिणाम आने के चार साल बाद राज नारायण ने हाईकोर्ट में चुनाव परिणाम को चुनौती दी. उनकी दलील थी कि इंदिरा गांधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किया, तय सीमा से अधिक खर्च किए और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया. अदालत ने इन आरोपों को सही ठहराया. इसके बावजूद इंदिरा गांधी टस से मस नहीं हुईं.
आपातकाल लागू हो जाने के बाद आकाशवाणी पर प्रसारित अपने संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा कि जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील क़दम उठाए हैं, तभी से मेरे ख़िलाफ़ गहरी साजिश रची जा रही थी. आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा क़ानून के तहत राजनीतिक विरोधियों की गिरफ़्तारी की गई. जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फ़र्नांडिस और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं को गिरफ्तार किया गया था.
अविवेकी गाँधी समर्थक नेहरू से आज तक सदा हिन्दू हिन्दुस्तान विरोधी और विनाश कर्ता रहे. धिक्कार इंदिरा धिक्कार इमरजेन्सी . धिक्कार हिन्दू दलित और ओबीसी एवं अन्य की नसबंदी .
उसीका परिणाम पोता भुगत रहा है जी. ये नियती किसी को माफ नही करती. ध्यान में रखे काँगी.
क्या राहुल गांधी आज इमरजेंसी पर कोई ट्वीट करेगें
Any comment khan market gang
25जून1975में हुई शर्मनाक घटना को 2019में गाथा का रोना किस लाभ-हानि का पता नही पर इस हफ्तेtrpको ज़रूर लाभ ज़रुर होगा।मीडिया गिरता स्तर और trp-मुनाफ़े की होड़ में है।क्या यही मीडीया आज से40साल बाद 2060में 2019की नाकामियों की गाथा गायेगी नई पीढ़ी यही सुनने की लिये अभी से तैयार रहे!
इसी लिए आज भी उनकी हिन्दी कमजोर है ।
25 , जून को काला दीवस के रूप मे मनाना चाहीए आज के दीन कांग्रेस का बहीसकार करने का संकलप लेना चाहीए ये हमारी सोच है।🤔
ये इन्दिरा द्वारा लिखा गया काला इतिहास देश कभी नही भुलेगा
सत्ता की भोगिनी ने जो पाप किया उसका नतीजा आज कांग्रेस भुगत रही है सत्ता के मद में इतना मगरूर किसी प्रधानमंत्री को नहीं देखा गया....जय हिन्द🐯🐯🐯
भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय 25 जून 1975 आपातकाल
rssurjewala 20 खसम रखने वाली इंदिरा गांधी गंगा कैसे हो सकती है फ़ातिमा क्यों नही अधीर रंजन चौधरी पागल है क्या
आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के काले अध्याय के रूप में हमेशा याद किया जाता रहा है और आगे भी किया जाता रहेगा।emergency1975
गंगा जैसी पवित्र इमर्जेंसी थीं। 😁😁😁
इतिहास के पन्नो में आज का दिन हमेशा एक काले दिन के रूप में देखा जायेगा। ये जनतंत्र का हत्या का दिन हे।
अब नहीं संभले तो, आने वाले दिनों में इनकी सरकार बनेगी, तो और काले दिन आयेंगे
बम धमाका करने वाला था ये चेन ना डाले हाथ मे तो क्या आरती उतारें इसकी
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