जज कानून से ऊपर नहीं हैं, न्यायिक नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए: जस्टिस चंद्रचूड़

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जज कानून से ऊपर नहीं हैं, न्यायिक नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए: जस्टिस चंद्रचूड़ JusticeChandrachud JudicialAppointmentTransparency ChiefJusticeOfficeUnderRTI जस्टिसचंद्रचूड़ न्यायिकनियुक्तिपारदर्शिता मुख्यन्यायाधीशकार्यालयआरटीआई

मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को आरटीआई एक्ट के दायरे में होने की घोषणा करने वाले संविधान पीठ के बहुमत के फैसले से सहमति जताते हुए अपनी अलग राय में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उच्चतर न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के आधार को परिभाषित किया जाना चाहिए और इससे संबंधित सभी जानकारी सार्वजनिक पटल पर रखा जाए.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘जज कानून से उपर नहीं हैं, न्यायिक नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए.’ अपने बेहद महत्वपूर्ण फैसले में डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायिक स्वतंत्रता और पारदर्शिता के विरोधाभासों सही से परिभाषित किया है और न्यायपालिका में नियुक्ति में पारदर्शिता बरतने और सभी जरूरी दस्तावेजों को सार्वजनिक करने पर जोर दिया है.

अपने 113 पेज के फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका के संबंध में आरटीआई एक्ट को बेहतर तरीके से काम करने के लिए जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी बनाने पर जोर दिया. उच्चतर न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के तरीके में जुड़े जनहित का हवाला देते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘नियुक्ति के आधार का खुलासा करने में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक हित है. विशेष रूप से योग्यता, सत्यनिष्ठा और न्यायिक प्रदर्शन के संबंध में. न्यायिक नियुक्ति की प्रक्रिया और उसके आधार को सार्वजनिक करना आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के उद्देश्य की पूर्ति करना है. इससे जनता में विश्वास बढ़ता है.

 

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