क्या मेट्रो का चालकरहित होना हमारी जिंदगी में कोई प्रत्यक्ष बदलाव ला सकता है? वह भी ऐसे समय में, जब भारत जैसा देश कोरोना विषाणु के साथ-साथ सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर का सामना कर रहा है। आज सीएमआइई के अनुसार, भारत का बेरोजगारी स्तर दस फीसद तक पहुंचने वाला है, जिसमें शहरी क्षेत्रों में 9.0 प्रतिशत बेरोजगारी दर दर्ज की गई है और ग्रामीण क्षेत्रों में 9.
1 प्रतिशत। पिछले महीने सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर हरियाणा और राजस्थान प्रतिशत रहा। ये आंकड़े किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं हैं। हमारी सरकार देश को रोजगार देने वाले क्षेत्रों में नई-नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर, मेट्रो को चालकरहित बना कर लोगों को बेरोजगार करने पर तुली है। तकनीकी एक अच्छी चीज है अगर उसका उपयोग मनुष्य के जीवन को बेहतर बनाने में किया जाए, न कि उससे जीवन को बेहतर बनाने के मौके छीनने के लिए। अगर हमारे देश में जनसंख्या अधिक हो रही है तो सरकारों को अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगार...
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चौपाल: दुख का सालसाल 2020 सबसे खराब साल कहा जाए तो शायद कुछ गलत नहीं होगा। इस साल में देश ने कोरोना का भयंकर कहर, दिल्ली के दंगे समेत कई घटनाएं देखीं। लगभग पूरा साल कोरोनावायरस और उससे उपजी चुनौतियों का वर्ष रहा।
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चौपाल:अब आगेकोरोना महामारी के कारण बीता साल हर क्षेत्र और तबके के लिए काफी नुकसानदेह साबित हुआ है। इस जानलेवा संक्रमण ने न सिर्फ देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खस्ता कर दी, बल्कि पूरे देश की आर्थिक जगत की नींव को हिला कर रख दिया।
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चौपाल: सम्यक विकासभारतीय प्राचीन धर्म शास्त्रों और पवित्र पौराणिक पुस्तकों में भी यह सब जगह लिखा है कि जिस समाज में स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।
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चौपाल: सेहत की खातिरअगर हमें देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाना है तो इसके लिए जरूरी है कि हम अच्छे स्वास्थ्य क्षेत्र पर व्यापक स्तर पर ध्यान दें। एक बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को समृद्ध बनाने में देश का नर्सिंग वर्ग मेरुदंड का काम करता है।
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चौपाल: जनता की जिम्मेदारीजिस तरह जनता ने अपनी आवश्यकताओं का मूल्यांकन करने की क्षमता खो दी है और आस्था के नाम पर राजनीतिक दलों के हाथों की कठपुतली बनती जा रही है, वह अत्यंत दुखद और भयावह है। भारत महान था और रहेगा, लेकिन इसकी जिम्मेदारी केवल राजनीतिकों की ही नहीं, बल्कि जनता की भी है।
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