15 जनवरी को निर्वाचन आयोग पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में रैली-रोड शो पर लगाए बैन का रिव्यू करेगा, लेकिन इससे पहले ही उत्तर प्रदेश में कोरोना का विस्फोट हो चुका है। शुक्रवार को एक ही दिन में यहां रिकॉर्ड 16 हजार से ज्यादा नए केस मिले हैं।
बीते 6 दिन में 70 हजार से ज्यादा केस मिल चुके हैं, जबकि राज्य में कोरोना के एक्टिव केस 382 फीसदी तक बढ़ चुके हैं और डेली एक्टिव पॉजिटिव केस की संख्या में भी 200 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। ज्यादा चिंता की बात ये है कि वेस्ट यूपी में फर्स्ट फेज में जिन 11 जिलों में चुनाव होने हैं, वहां के 7 जिले ही चिंताजनक स्थिति में है। गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ, आगरा, मथुरा, मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर जिलों में 40 हजार से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। ऐसे में इस बात की संभावना बेहद कम है कि यूपी चुनाव में इस बार जनसभाओं की अनुमति मिल पाएगी।
शनिवार को जब चुनाव आयोग इलेक्शन कैंपेन के तौर तरीकों पर फैसला लेने के लिए बैठेगा, तो सियासी पार्टियों को बड़ी रैलियों व रोड शो की अनुमति देना आसान नहीं होगा। यदि अनुमति मिलती है तो चुनावी रैलियां ही कोरोना की सुपर स्प्रेडर बन जाएंगी। निश्चित तौर पर आयोग यह नहीं चाहेगा। यही कारण है कि इस बार पहली दफा यूपी में चुनाव प्रचार वर्चुअल मोड में ही होने की प्रबल संभावना है।
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