पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों के नतीजे दर्शाते हैं कि दिल्ली की सीमाओं पर साल भर से ज्यादा वक्त तक चले किसान आंदोलन का चुनाव में कोई असर नहीं पड़ा. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जहां सत्तारूढ़ भाजपा सत्ता बरकरार रखने में सफल रही तो वहीं दूसरी ओर बदलाव की आंधी में पंजाब में आम आदमी पार्टी ने जबर्दस्त जीत हासिल की.माना जा रहा था कि वापस लिए गए कृषि कानूनों के मुद्दे पर चले किसान आंदोलन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश और किसानों के प्रभाव वाले इलाकों पर असर पड़ेगा.
चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी दलों ने कोविड-19 महामारी के दौरान गंगा में तैरती लाशों के मुद्दे को भी जोरशोर से उठाया था. लेकिन चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि चुनाव पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचले जाने और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे के इसमें शामिल होने से जुड़े आरोपों का विषय भी उठाया था. लेकिन इस जिले की सीटों पर भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया.
किसान आंदोलन का प्रभाव पंजाब में दिखा लेकिन इसका पूरा फायदा आम आदमी पार्टी को हुआ. 117 सदस्यीय पंजाब विधान सभा के लिए हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी 90 से ज्यादा सीटों पर जीत की ओर बढ़ रही है और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पार्टी की जीत को 'क्रांति' करार दिया है. चुनावी दृष्टि से पंजाब माझा, मालवा और दोआबा यानी तीन हिस्सों में बंटा है. मालवा में 69 सीट, माझा में 25 और दोआबा में 23 सीटें हैं. सबसे ज्यादा सीटों वाला मालवा क्षेत्र किसानों का गढ़ है.
आप ने मतदाताओं को लुभाने के लिए महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये, 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली और 24 घंटे बिजली आपूर्ति जैसे वादे भी किए. पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस ने 117 सदस्यीय पंजाब विधान सभा में 18 सीटों पर जीत दर्ज है. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को बृहस्पतिवार को भदौर और चमकौर साहिब सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को भी पराजय का सामना करना पड़ा.
असर तो आपको पंजाब मै नजर आ ही गया होगा। आगे असर देखने की इच्छा है तो हरियाणा में चुनाव करवा लो
तथाकथित किसान आंदोलन का असर पंजाब में दिखा जहां कि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस ही मुख्य रूप से किसान आंदोलन को फंडिंग कर रही थी बैक डोर से...😂😂😂
Propaganda of award vapas gangs is over propaganda of CAA bill is over propaganda of farm bill is over propaganda of calling godhi media is over now opposition parties should think new
अबे साले किसान का नाम क्यो ले रहा है ,, तू थोड़े बेटा था डंड में गर्मी में
700 Kisaan mar gaye, BJP ko jhuk kar Farm laws wapis lene pade or aapko Kisan Andolan ek Daanv lag raha hai. Itna joota hi mat chaato ki taste buds hi mar jaayen.
punjab me dikha h 😃😃😃😃congres out
punjab me kisaan andolan kamyaab nhi rha kya ?
किसान आंदोलन को कांग्रेस ने हवा दी, लेकिन उसकी आंच पर रोटी पकी 'आप' की। 'भँवरे ने खिलाया फूल, फूल को ले गया राज कुँवर'
किसानों आंदोलन का दांव नाकाम नहीं है,यह किसान आंदोलन ही है जिसने पंजाब में आम आदमी पार्टी को इतना बड़ा बहुमत दिया। किसान आंदोलन को चलाने वाले यूनियन वामपंथी नेता थे, जिन्हें सहयोग खालिस्तानियों से स्पष्ट रूप में मिल रहा था,आम आदमी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही थी।
मशीन का रहा शानदार योगदान कभी चुनाव आयोग को तो पूछिए की सिर्फ मशीन से ही चुनाव क्यों कराना चाहता है ? बैलेट पेपर से भी तो चुनाव कराया जा सकता है। यही हाल रहा तो 2024 का चुनाव परिणाम आ गया है समझो। देश में सभी चुनाव बैलेट पेपर से ही होना चाहिए। इसमें पारदर्शिता है।
चुनावी जीत से किसान आंदोलन की हार कैसे तय होती है ?
डकैत ने अपनी सारी ताकत लगा दी हिन्दू और सिखों के बीच लड़ाई लगा कर कांग्रेस INCIndia को फायदा पहुंचाने की, यही कांग्रेसियों का चरित्र भी है, पर उसका सारा प्लान फेल हो गया ! RakeshTikaitBKU
देश की न्यू राष्ट्रपति उम्मीद बार होंगी बीजेपी की तरफ से मायावती जी
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