कोलकाता : पश्चिम बंगाल के चुनाव में नागरिकता संशोधन अधिनियम पर रार छिड़ी है। अमित शाह समेत बीजेपी के सभी नेता खुले तौर पर सीएए को लागू करने वादा कर रहे हैं, मगर टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी इसे साजिश बता रही हैं। पश्चिम बंगाल में सीएए का फायदा उन लोगों को मिलेगा, जो 70 के दशक में बांग्लादेश से जान बचाकर भारत में शरण ली थी। इसमें बंगाल का मतुआ समुदाय भी शामिल है, मगर राजनीतिक बयानबाजी के बाद मतुआ समुदाय भ्रमित है। समुदाय के लोग सीएए के तहत नागरिकता आवेदन करने से हिचक रहे हैं। अमित शाह इसकी...
पत्र'अब बनगांव के पुरबा जयनगर गांव में सीएए को लेकर भ्रम की स्थिति है। ऐसा ही हाल पूरे मतुआ समुदाय की है। पुरबा जयनगर के 60 वर्षीय श्रीकांत सरकार कहते हैं कि सीएए लागू होने के बाद भारत में एक स्थायी घर होने की उम्मीद जगी थी, मगर यह सपना टूट गया। सीएए के आवेदन के लिए बांग्लादेश का पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र या निवास प्रमाणपत्र की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के सतखिरा में धार्मिक उत्पीड़न के बाद उनके परिवार ने भारत आने का फैसला किया था, मगर दस्तावेज नहीं होने के कारण वह भारतीय...
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