नेपाल और चीन की दोस्ती को भारत के लिए बड़ी चुनौती समझा जा रहा है. एक तरफ़ जहां चीन और अमरीका लगातार नेपाल में सक्रिय हैं वहीं भारत अभी तक इस संबंध में शांत रहा है.
डांग उस समय भले ही चीन के प्रमुख नहीं थे लेकिन वो उस वक़्त चीन के सर्वोच्च अधिकारी थे. उस समय उनका नेपाल दौरा भारत को चुनौती के तौर पर देखा गया था. उनके दौरे से ठीक एक महीने पहले भारत के तत्तकालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने नेपाल का दौरा किया था.भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओलीनेपाल एक लैंडलॉक्ड देश है और वो भारत से अपनी निर्भरता कम करना चाहता है.
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद भी एक बड़ा मुद्दा है. सुस्ता और कलपानी इलाक़े को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है. चार साल पहले दोनों देशों के बीच सुस्ता और कलपानी को लेकर विदेश सचिव के स्तर की बातचीत को लेकर सहमति बनी थी, लेकिन अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई है. नेपाल में भी भारतीय नोट लेन-देन के आम चलन में हैं और जब ये नोट रद्द किए गए तो वहां के लोग और अर्थव्यस्था पर बुरा असर पड़ा.
ओली के बारे में कहा जाता है कि वो कभी भारत समर्थक कहे जाते थे. नेपाल की राजनीति में उनका रुख़ भारत के पक्ष में कभी हुआ करता था.
क्युकि सुविधाभक्तो की जिससे फटती है.... वहां भक्तो की आवाज नही निकलती.... 🤗🤗
है बीबीसी आर्थिक नाकेबंदी भारत सरकार ने नही खुद नेपाल के मधेसी जनता ने लगाई थी
भारत तो मालदीव और श्रीलंका के मामले में चुप था बाद में क्या हुआ दोनो देश खुद ही भारत के पास आये लेकिन इस मामले में नेपाल चालक है चीन को अभी अपने देश मे पूरा घुसने नही दिया है और भारत को पूरा बाहर नही किया है क्योंकि उसे भी पता है कि बिना भारत के सहयोग से ओ आगे नही बड सकता
Jab Pakistan aur hindu muslim krke satta mil ja rhi hai.. To economy aur foreign policy pe dhyan dene ki kya jrurat hai.. Desh ki kisko pari hai.. Yaha stta ka nasha hi sb kuchh h.. Aur baki chiz k liye modia hai hi
Not silent but silently Ruling government of India already achieved all targets that was dream for a China. World economic Forum ranking Passport ranking Average export World hunger index Women safety etc... All these ranking going down.china always love to this modi government
और क्या भंगडा़ करे, यहां अपनी इकोनॉमी के ढोकले फूट गये हैं और बीबीसी को नेपाल की चिंता है।
क्योंकि उसका भी वही हाल होगा जो पाक का है। कर्ज वाले पैसे कि गर्मी कम दिन ही रहता है।
तो तुमलोग गधों के पेट में दर्द क्यों हो रहा है
Kyoki bharat ko pata hai ki usne nepal ko kabhi kuch khas nahi diya wabjood iske ke nepal ke log bharat se jyada pyar kerte hai....bahoot ghosnaye hui per ek bhi project poora nahi huwa
शांत नही रहेंगे तो विशाल विशाल मूर्ती और मोबाईल कहां से बनवाएंगे!!
RSS , BJP ke log even mare jate hain by mullas BJP remain Nepal to bahari mamla hua fir.
भारत ये जान रहा है की वो भी पाक के तर्ज पर ही बेहाल होने बाला है और वो भी बहुत जल्द व उससे कही बुरी तरह से
🤪😜
क्योकि भारत सरकार यह जानती है कि मेड इन चाइना से नेपाल का भ्रम जल्द टूट जायेगा हजारो सालों की दोस्ती हमेशा बरकरार रहती है
तुम्हारे हिसाब से क्या करना चाहिए। इसमें ऐसी क्या बात है। दोनों पड़ोसी हैं। भारत शांत क्यों है।।। बेमतलब BBC
कहने में तो शर्म महसूस होता है भारत की अदूरदर्शी विदेश नीति हास्यास्पद है, मोदी के आर्थिक नाकेबंदी का औचित्य क्या था ये अबतक समझ नहीं आया,? लेकिन जो खलिस नेपाली के दिलों-दिमाग में अंकित है उसका असर दीर्घकालिक है, मोदी का नेतृत्व भारत के लिए शायद पद के साथ अन्याय और निराशाजनक है,
क्योंकि भारत जानता है कट्टर हिन्दू पाकिस्तान को गरियाने पे खुश होंगे चायना को नही सरकार पाकिस्तान की वजह से बनती है चाइना की वजह से नही
TUMARE PETMAY KYU DARD HO RHA HAI.
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