संयुक्त विधायक दल की सरकार भारतीय राजनीति का एक अनूठा प्रयोग थी जिसमें धुर वामपंथियों से लेकर धुर दक्षिणपंथी लोग शामिल थे.
जनसंघ चूँकि सबसे बड़ा घटक था इसलिए चरण सिंह ने उसे शिक्षा, स्थानीय प्रशासन और सहकारिता के तीन महत्वपूर्ण विभाग दिए. बाद में चरण सिंह ने उनसे ये विभाग ले कर उन्हें सार्वजनिक कार्य और पशुपालन विभाग दे दिए. कृष्णनाथ शर्मा अपनी किताब 'संविद गवर्नमेंट इन उत्तर प्रदेश' में लिखते हैं, "ये मतभेद इस हद तक बढ़े कि दो कैबिनेट मंत्रियों ने अंग्रेज़ी हटाओ मुद्दे पर अपनी गिरफ़्तारी दी और चरण सिंह सरकार को सरेआम बेइज़्ज़त किया. 5 जनवरी, 1968 को एसएसपी भी संयुक्त विधायक दल सरकार से बाहर आ गई. चरण सिंह ने इस बात पर अपना विरोध जताया कि एसएसपी के मंत्रियों ने अपने इस्तीफ़े उन्हें न सौंप कर राज्यपाल को सौंपे.
अब बीजेपी का वर्चस्व सपा तोड़ेगी
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