घाटे का सौदा साबित होती एमएसपी खत्म कर प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण वाली व्यवस्था की ओर बढ़ें किसान और सरकार

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एमएसपी के कारण चंद फसलों की अत्यधिक खेती से पंजाब आज कृषि उत्पादकता में गिरावट का शिकार है... पढ़ें- MSP के मसले पर डीयू में अर्थशास्त्र के असिस्टेंट प्रो. अभिनव प्रकाश का लेख FarmLaws nstomar PMOIndia Abhina_Prakash

नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे कुछ किसान संगठन सरकार की कोई भी बात मानने को तैयार नहीं दिखते। ऐसे में इसकी पड़ताल आवश्यक हो जाती है कि इन प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें कितनी न्यायसंगत हैं? इन मांगों में एक प्रमुख मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को कानूनी स्वरूप दिया जाए। एमएसपी के उद्भव की जड़ें हरित क्रांति से जुड़ी हैं। तब किसानों को गेहूं और धान जैसे अनाज की ‘हाई यील्ड वैरायटी’ यानी पैदावार को व्यापक स्तर पर बढ़ाने वाले बीज और तकनीक अपनाकर उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन की...

अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के कारण यह तबका अपने प्रभाव क्षेत्र में कुछ किसानों को लामबंद करने में सफल भी हुआ है।इस विरोध-प्रदर्शन के बीच हमें यह भी विचार करना होगा कि अतीत की नीतियों के सहारे भविष्य की ओर नहीं बढ़ सकते। यह आवश्यक नहीं कि पहले जो नीति सही थी वह आज भी उपयुक्त हो। भारत के कुल किसानों में से 85 प्रतिशत छोटे एवं सीमांत किसान हैं। ये भी खाद्यान्न खरीदते हैं। इसके अलावा ग्रामीण आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा भूमिहीन मजदूरों का है।यह स्पष्ट है कि अधिक एमएसपी से महंगाई बढ़ती है जो इन सभी वर्गों...

 

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