राजनीतिक दलों- राजनेताओं द्वारा उपलब्धियों और योजनाओं को अपना बताकर श्रेय लेने की होड़ कौन नहीं जानता। शुचिता और स्पष्टवादिता राजनीतिक दलों में अब सुनाई और दिखाई नहीं देती लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्व.
बात 2004 की है। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद अटलजी अपना जन्मदिन मनाने तीन दिवसीय प्रवास पर ग्वालियर आए थे। 25 दिसंबर को उनका जन्मदिन था और अगले दिन यानी 26 दिसंबर को उन्होंने मध्यभारत हिंदी साहित्य सभा के शताब्दी वर्ष समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने की सहमति दी थी। साहित्य सभा के तत्कालीन महामंत्री कृष्णकांत शर्मा बताते हैं कि भगवत सहाय सभागार में आयोजित इस समारोह में उन्होंने एक ऐसा राज खोला जिससे सभी चकित रह...
अटलजी ने कहा था-1996 में जब मैं पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहा था, तभी पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव मेरे पास आए और हाथ में एक कागज थमा दिया। उस पर लिखा था 'बम पूरी तरह तैयार हो चुका है, इसको सिर्फ फोड़ना है, पीछे नहीं हटना है।' हालांकि प्रधानमंत्री के रूप में अटलजी को परमाणु बम का परीक्षण करवाने का मौका अपने तीसरे कार्यकाल में 1999 में मिला। पोखरण में हुए इस परीक्षण ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था। शर्मा कहते हैं कि अटलजी ने परमाणु परीक्षण का श्रेय नरसिंह राव को देकर...
इंदिरा से अधिक ताकतवर तो हमें कोई दिखाई नहीं देता।
माननीय प्रधानमंत्री जी किसान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को पांच लाख पत्र 26 जनवरी में भारत के मुख्य अतिथि नहीं बनने के लिये भेज रहे है, भारत सरकार के लिये यह उचित नहीं है। यदि किसानों का अनुरोध ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया तो भारत सरकार की काफी बदनामी होगी।
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