गहलोत बनाम पायलट: अहमद पटेल के जाने के बाद राजस्थान में कांग्रेस को लिटमस टेस्ट का सामना

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राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के पूर्व पार्टी प्रमुख सचिन पायलट के बीच प्रायोगिक शांति समझौता कसौटी पर है. Rajasthan AshokGehlot SachinPilot

सोनिया और राहुल गांधी ने भी पायलट को मनाने के लिए दखल किया थाअहमद पटेल के निधन के बाद कांग्रेस को राजस्थान में लिटमस टेस्ट जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के पूर्व पार्टी प्रमुख सचिन पायलट के बीच प्रायोगिक शांति समझौता कसौटी पर है.

अहमद पटेल से अपेक्षा की गई थी कि वे गहलोत को राजी करेंगे जिससे कि शांति प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके, मंत्रीपरिषद का विस्तार हो सके और इसमें पायलट के कुछ अहम समर्थकों को शामिल किया जा सके. ये सब नवंबर के अंत तक होना था. पायलट के ये वो अहम समर्थक थे जिन्हें जुलाई में विद्रोह के दौरान बर्खास्त कर दिया गया था. मंत्रीपरिषद के विस्तार में देरी के लिए गहलोत स्थानीय निकाय चुनाव और विधानसभा उपचुनाव का हवाला देते रहे. दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों के कैम्प फॉलोअर्स एक दूसरे को कोंचते रहे.

मिलनसार, गहलोत को संजय कांग्रेस सर्किल्स में ‘गिल्ली बिल्ली’ नाम से जाना जाता है क्योंकि वे जादूगरों के परिवार से नाता रखते हैं और खुद भी कुछ ट्रिक्स जानते हैं. टीटोटलर गहलोत सिर्फ सात्विक खाना खाने में यकीन रखते हैं और सूर्यास्त से लेकर नए सवेरे तक कुछ भी खाने से परहेज करते हैं. राजीव गांधी के निर्देशों के मुताबिक, राज्य के मंत्रियों को राजीव से मिलने के लिए आधिकारिक कारों का इस्तेमाल नहीं करना था. तत्कालीन प्रधानमंत्री दिल्ली से सरिस्का एसयूवी खुद ड्राइव करके गए थे. जब उन्होंने सरिस्का में प्रवेश किया, तो एक स्थानीय ट्रैफिक कांस्टेबल ने सीधे जाने के बजाय, उन्हें दाएं मुड़ने का संकेत दिया. यह निर्दोष प्रतीत होती त्रुटि जोशी के लिए महंगी साबित हुई. क्योंकि यह मोड़ एक ऐसे स्थान पर चला गया जहां राज्य मंत्रियों से संबंधित सैकड़ों आधिकारिक कारें खड़ी थीं.

 

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