देश जब संविधान दिवस मना रहा था तभी देश के अन्नदाताओं पर लाठियां चलाई जा रही थीं
उन्होंने कहा, 'इन कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं है, जिसके कारण किसानों में अविश्वास पैदा हुआ है। इन कानूनों के लागू होने से किसान सिर्फ निजी कंपनियों पर निर्भर हो जाएगा। साथ ही, निजी मंडियों के बनने से दीर्घकाल से चली आ रहीं कृषि मंडियों का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा। इसके कारण किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा।’’
उन्होंने कहा कि मंडी प्रांगणों के बाहर होने वाली खरीद में भी व्यापारियों से मंडी शुल्क लिया जाएगा। संविदा खेती की शर्तो का उल्लंघन या किसानों को प्रताड़ित करने पर व्यापारियों और कंपनियों पर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना और सात साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है।
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