मानपुर के इस पंखा गली में दर्जनों घर के लोग ताड़ के पत्तों और बांस से बने पंखा बना रहे हैं. बिहार झारखंड सहित कई राज्यों में यहां से बने पंखे की मांग है. दरअसल, गर्मी का सीजन आते ही हाथ पंखे की मांग बढ़ जाती है. यह हाथ वाली पंखे ताड़ के पत्तों से बनाए जाते हैं, जिसकी मांग अभी सबसे ज्यादा है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में और लोअर क्लास के लोगों में सबसे ज्यादा हाथ वाले पंखे की मांग रहती है. गया के मानपुर पटवा टोली में एक गली ऐसी भी है, जिसे लोग पंखा गली के नाम से जानते हैं.
यहां हर घर के लोग हाथ का पंखा बनाने में जुटे हुए हैं. हर घर के बाहर दलान पर घर के सदस्य महिला हो या पुरुष, पंखे को बनाते हुए देखे जा सकते हैं. हालांकि यह पंखा की मांग आने वाले दिनों में वट सावित्री पूजा में भी इस पंखे की मांग काफी ज्यादा हो जाती है, क्योंकि हर सुहागन महिलाएं इसी पंखे से अपने पति को पूजा करते हैं और पंखा से हवा लेते हैं. ऐसे में अभी से ही पंखा बनाने वाले छोटे कारीगर इसे बनाने में जुड़े हुए हैं. महापुर पटवा टोली के पंखा गली में 200 सालों से पंखा बनाने का काम किया जा रहा है.
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