गड़ेरिया को अब भी पुरस्कार का इंतजार, कारगिल युद्ध के पीछे की असल कहानी ताशी की जुबानी

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2 मई 1999 को कारगिल के पर्वतीय बटालिक इलाके के पास घरकॉन नामक एक छोटे से गांव में रहने वाले... KargilVijayDiwas KargilWar Kargil1999 Kargil IndianArmy Tashi Pakistan

ने ही सबसे पहले सेना को कारगिल में घुसपैठ की सूचना दी थी। उसकी जानकारी पर ही सेना ने एक टीम को इलाके का निरीक्षण करने भेजा था। सेना के जवानों ने जो देखा, वह आश्चर्यजनक था। देखा कि हथियार और गोला-बारूद लिए कुछ लोग तैयार हो रहे थे। फिर ताशी की सूचना पर भारतीय सेना तेजी से आगे बढ़ी और संभावित नुकसान को कम से कम किया।

वह एक के बाद एक आई सरकार से निराश है। वह अब बूढ़ा हो गया है। मवेशियों के साथ नहीं जाता है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि उसका गांव कारगिल से केवल 70 किलोमीटर दूर है, लेकिन वहां कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं है, जिसके चलते वह बाकी इलाकों से कटे हुए हैं।आपने उस दिन क्या देखा और उस समय आपकी कितनी उम्र थी?मैं उस समय 30 साल का था। मेरा एक याक गुम हो गया था। गरखुन नाले के पास पहाड़ों पर उसे ढूंढ रहा था। मेरे पास एक दूरबीन भी थी, जिससे मैं इलाके में उसे ढूंढ रहा था। तभी मैंने पहाड़ी की चोटी पर छह लोगों...

ने ही सबसे पहले सेना को कारगिल में घुसपैठ की सूचना दी थी। उसकी जानकारी पर ही सेना ने एक टीम को इलाके का निरीक्षण करने भेजा था। सेना के जवानों ने जो देखा, वह आश्चर्यजनक था। देखा कि हथियार और गोला-बारूद लिए कुछ लोग तैयार हो रहे थे। फिर ताशी की सूचना पर भारतीय सेना तेजी से आगे बढ़ी और संभावित नुकसान को कम से कम किया।ताशी ने छह लोगों को उस वक्त पत्थर तोड़ते हुए और बर्फ को साफ करते हुए देखा। ताशी के लिए यह असामान्य था, क्योंकि उसने देखा कि कोई पैरों के निशान घटनास्थल तक नहीं गए थे। स्पष्ट था कि वे...

 

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