के बीच अमृतपाल सिंह अपने चुनाव क्षेत्र से करीब तीन हजार किलोमीटर दूर एक जेल में बंद हैं. अपने समर्थकों के दम पर चुनाव लड़ रहे सिंह की हार-जीत पर भारत सरकार भी निगाह होगी. उनके समर्थक दावा कर रहे हैं कि उन्हें भारी समर्थन मिल रहा है.
अमृतपाल सिंह को खालिस्तान का समर्थक माना जाता है. चुनाव में उनकी जीत ना सिर्फ उनके कथित दावों को मजबूत आधार दे सकती है बल्कि भारत सरकार की चिंता यह होगी कि उनकी जीत से खालिस्तान का आंदोलन फिर से जोर पकड़ सकता है. सिख समुदाय के कुछ लोग 1970 के दशक से ही अपने अलग देश की मांग करते रहे हैं लेकिन 1990 में यह आंदोलन हिंसक हो गया था और उसे भारत सरकार ने बेहद सख्ती से कुचला था. उस दौरान कई हजार लोगों की जानें गईं.
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