क‍िसान आंदोलन: सरकार के इस कदम से न‍िकल सकता है रास्‍ता, दोनों पक्षों की बची रहेगी नाक

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क‍िसान आंदोलन के बीच दोनों पक्षों में से कोई पीछे नहीं हटने पर अड़ा रहा तो ह‍िंसा भी हो सकती है। ऐसी आशंका जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कण्‍डेय काटजू एक कानूनी व‍िकल्‍प सुझा रहे हैं, ज‍िसके जर‍िए तत्‍काल आंदोलन शांत हो सकता है और दोनों पक्ष अपनी-अपनी आंश‍िक सफलता का दावा भी कर सकते हैं।

विज्ञान भवन, दिल्ली में 1 दिसंबर को किसान संगठनों के 35 प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार की ओर से मंत्रियों के बीच एक बैठक आयोजित की गई थी। कई घंटों की बातचीत के बावजूद वह अनिर्णायक रही और अगली वार्ता 3 दिसंबर के लिए तय की गई। आंदोलनकारी किसान किसानों से संबंधित हाल के तीन कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार सहमत होने के लिए तैयार नहीं है। परिणाम गतिरोध है। मेरे विचार से गतिरोध का अंत करने के लिए मध्य-मार्ग यह हो सकता है क‍ि किसान कानून कानूनी किताब में बने रहें, लेकिन यह तब तक...

बदलना चाहिए। इससे दोनों पक्ष अपनी-अपनी आंश‍िक सफलता बता सकते हैं। सरकार दावा कर सकती है कि उसने कानूनों को निरस्त नहीं किया है, जबकि किसान दावा कर सकते हैं कि कानूनों को लागू नहीं किया जा रहा है। इस तरह आंदोलन के ह‍िंंसक होने का खतरा भी टाला जा सकता है। सरकार को यह समझना चाहिए कि अगर वह इस सुझाव को सहमति नहीं देती, अनदेखा करती है तो उन्हें भविष्य के चुनावों में बड़ी संख्या में किसानों के वोट से हाथ धोना पड़ सकता है । दूसरी ओर, किसानों को ऐसी मांग पर जोर नहीं देना चाहिए जिससे सरकार का पूरी तरह...

 

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