क्यों भीड़ के आगे बेबस है प्रशासन?

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प्राइम टाइम इंट्रो : क्यों भीड़ के आगे बेबस है प्रशासन?

सुजीत को लखनऊ के सिविल अस्पताल में भर्ती किया गया है. बाराबंकी ज़िले की यह घटना है. पीटीआई न्यूज़ एजेंसी की यह ख़बर है. चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बिहार में भी मॉब लिंचिंग की एक घटना हुई है. चोरी के आरोप में पकड़े गए तीन लोगों को घेर कर लोगों ने मार दिया. घटना सारण ज़िले के बनियापुर गांव की है. इन घटनाओं के संदर्भ में आप स्टेट और सोसायटी को समझिए. लगता ही नहीं है कि समाज और राज्य के बीच गहरा रिश्ता बना है. बस गुस्सा आना चाहिए, लोग खुद ही राज्य बन जाते हैं, त्वरित इंसाफ पर उतारू हो जाते हैं.

2013 के दंगे में 65 लोग मारे गए थे. इससे संबंधित हत्या के 10 मामले दर्ज हुए थे. अगर इस तरह भीड़ सबूतों के अभाव में छूटती रहेगी तो उसका हौसला बढ़ता रहेगा. बल्कि यही नया राजनीतिक औजार भी बन चुका है. सबको पता है कि बाद में सब कुछ मैनेज हो जाता है. कारण जो भी हों, भीड़ बच जाती है. इंडियन एक्सप्रेस ने कोर्ट के रिकार्ड और गवाहों का गहन अध्ययन किया है. यह रिपोर्ट बता रही है कि अंत में भीड़ बच जाती है. एक परिवार को जला दिया गया. तीन दोस्तों को खींच कर खेत में मार दिया गया.

हैजला ने भी कहा कि अभी कई दावे लंबित है इसलिए समय चाहिए. 31 अगस्त तक डेडलाइन बढ़ा दी जाए. हमने बाढ़ के सिलसिले में बताया है कि असम में कई लोग एनआरसी के कारण जान जोखिम में डाल रहे हैं. बाढ़ में उनके लिए जान से ज्यादा चिन्ता इस सर्टिफिकेट को बचाना हो गया है. कोर्ट ने इस काम पर बाढ़ के असर का भी हाल पूछा तो जवाब में प्रतीक हैजला ने कहा कि ट्रक के ट्रक कागज़ात सुरक्षित जगह पर पहुंचाए गए हैं.

शुक्रवार को लोकसभा में RTI Amendment Act 2019 प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने पेश किया. इसमें सूचना आयुक्तों के संबंध में तीन बातें हैं. पहले 5 साल के लिए मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति होती थी. अब उनका कार्यकाल 5 साल होगा या कितना होगा इसका फैसला सेंटर करेगा. केंद्र राज्यों के लिए भी यह तय करेगा. पहले मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की सेवा की शर्तें चुनाव आयुक्तों के समान होती थीं. अब शर्तें बदली जाएंगी.

 

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प्रशासन नहीं है बेबस उसे सरकार बेबस करती है।

भीड़ के आगे बेबस नहीं है प्रशासन वोट के आगे बेबस है भीड़ को तो हमने औरतों के कपड़े पहन कर भागते हुए देखा है

Kyoki y bhid government ke supporters ki hi ha

आरएसएस व भाजपा कभी भी भरोसे के काबिल नहीं रहे हैं।पर उन्हें सत्ता में लाने का श्रेय तो कांग्रेस को ही जाता है।कांग्रेस का भ्रष्टाचार ही भाजपा को सत्ता में लाया।अब तो ईवीएम भी है।एनपीए कांग्रेस की देन है। महान आर्यावर्त की नसों में भ्रष्टाचार घुसा हुआ है।अंग्रेजों का जाना गलत था।

तुमलोग सही से न्यूज़ , जिस दिन लिखना शुरु कर दोगे। उस दिन से देश में आधा नौटंकी बंद हो जाएगा। यह जो निकम्मी पुलिस है ना हमारे हिंदुस्तान में यह सिर्फ पैसा कमाने के लिए है जनता से , इन पर लगाम लगाने वाली कोई संस्था ही नहीं है, नहीं तो घटनाएं तो 50 प्रतिशत ऐसे ही खत्म हो जाए।

जो हुक्म के गुलाम है Swami Vivek से ही कार्य करना होता है जहां भी कोई दंगा फसाद हो लायन ऑर्डर की आवश्यकता हो क्षेत्र के एमएलए एमपी जनता से संपर्क करें समझाइश करें क्योंकि वे उनके प्रतिनिधि हैं तभी पुलिस की छवि जनता के बीच अच्छी हो सकती है स्वामी भक्ति से नहीं

Administration not helpless, connivant.

abb tak delhi jharkhand police ne kitne ko arrest kiyahe bus me todhphodh karne wallo ko, surat me police par akraman karne walle jihadi bhidh ke upar abb tak karwai knu nehi hua, lashi walla bharat yadav ke upar bhi jihadi bhidh ka akraman tha abb tak kitne arrest huye

The media has come to call these incidents 'mob lynching', a term that misrepresents what is really going on in India. The spate of violent attacks are in no way spontaneous expressions of mob anger. They are the product of systematic incitement to violence by Hindu nationalists.

bharat yadav ki hatya dr narang, bus me todhphodh surat me police par akraman abb tak kunsa karwai huahe

भीड़ के आगे प्रशासन विवश नहीं है अदालत के आगे विवश हैं वीस पच्चीस साल केश चलेंगे तो जनता कब तक मूकदर्शक वनी रहेगी

China 15 trillion vs 3 trillion India... Same 150 crore.. population....two countries in the world out of 235 Enjoy religious based freedom....and economics

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