दीप सिंह, लखनऊ: अभी तक भाजपा ही दलित वोटरों को लुभाने में लगी थी। अब सपा ने भी डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने मायावती के परंपरागत वोट बैंक पर टिप्पणी की तो मायावती भड़क उठीं। उन्होंने सपा को घोर दलित विरोधी करार दिया। इससे साफ है कि और NDA के बीच लड़ाई तेज हो चुकी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या है इस लड़ाई की वजह? क्या तीन दशक से बसपा के साथ खड़ा दलित वोट बैंक अब छिटक रहा है और उस पर कब्जेदारी की लड़ाई शुरू हो चुकी है?बसपा का लगातार घटा जनाधारदलित वोट बसपा का...
43% ही रह गया।छिटक रहा परम्परागत वोट बैंक?बसपा के लगातार गिरते वोट प्रतिशत को लेकर ही यह बात उठ रही है कि दलित वोट भी उससे खिसक रहा है। यह चर्चा 2022 में और तेज हो गई जब उसे 13% से भी कम वोट मिले। प्रदेश में दलित आबादी 20% से अधिक है। ऐसे में 13% से भी कम वोट मिलना यह बताता है कि दलित वोटों का एक हिस्सा छिटका है। भाजपा पहले से इस वोट बैंक पर नजर लगाए हुए है। अखिलेश यादव भी इस कोशिश में जुट गए हैं कि अगर इस बार वोट बैंक और खिसकता है तो वह उनके पाले में आ जाए।कितनी मुश्किल है बसपा की राह?घटते...
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