जुलाई 1947 में जब भारत अपनी आजादी के करीब था, ब्रिटिश शासन का सूर्य भारत में अस्त होने वाला था. जिस आजादी के लिए देश के वीर-जवानों ने कुर्बानी दी थी वो आजादी मिलने के करीब आ रही थी. अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंट बेटन के कंधों पर जिम्मेदारी दी थी कि वो भारतीय स्वतंत्रता सौंपे लेकिन कैसे? एक दिन माउंट बेटन ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से अपने दफ्तर में पूछा कि आप किस तरह सत्ता का हस्तातंरण करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक अवसर है इसलिए हाथ मिलाना या फाइल का आदान-प्रदान करना ठीक नहीं है.
शंख हिंदू धर्म में एक पवित्र वस्तु थी, और इसे अक्सर संप्रभुता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक था. यह सोने या चांदी से बना था, और इसे अक्सर कीमती पत्थरों से सजाया जाता था. सेंगोल राजदंड औपचारिक अवसरों पर सम्राट द्वारा ले जाया जाता था. सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक भी माना जाता है. महाभारत में भी मिलता है इतिहासरामायण-महाभारत के कथा प्रसंगों में भी ऐसे उत्तराधिकार सौंपे जाने के ऐसे जिक्र मिलते रहे हैं.
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