लोकतंत्र में जितना अधिकार आम जनता को अपनी बात रखने का है, उतना ही अधिकार, चुनावों के वक्त राजनेताओं को मंचों और जनसभाओं में बोलने का होता है. सत्ता पक्ष अपने कार्यों का गुणगान बढ़ा चढ़ाकर करता है.
- शुरुआती चरण में संविधान सभा में मुख्य रूप से तीन सौ नवासी लोग थे, लेकिन विभाजन के बाद इस संविधान सभा में 299 लोग रह गए थे. देखा जाए तो देश के बहुसंख्यक हिंदू या कहें कि सनातन धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोगों की संख्या,संविधान सभा में अधिक थी. बड़े और मुख्य पदों पर काबिज़ लोगों में भी सनातन धर्म से जुड़े लोगों की संख्या अधिक थी. तो इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, का ये कहना कि संविधान निर्माताओं में भी 80-90 प्रतिशत तक सनातनी थे, इसको खारिज नहीं किया जा सकता. हालांकि संविधान निर्माताओं ने सनातन के बारे में सोचकर देश का संविधान नहीं बनाया होगा, इसकी गारंटी ली जा सकती है.
- संविधान के भाग 3 में नागरिकों के मौलिक अधिकारों के विषय में बताया गया, यहां एक चित्र है जिसमें श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण, अयोध्या लौटते हुए नजर आते हैं.
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