पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने देश में चरमपंथ के ख़िलाफ़ ऑपरेशन ‘अज़्म-ए-इस्तेहकाम’ यानी 'स्थिरता के संकल्प' की मंज़ूरी देते हुए कहा कि सुरक्षा की ज़िम्मेदारी फ़ौज पर डालकर राज्य सरकारें अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकतीं.
सवाल यह पैदा होता है कि दोस्ती के बावजूद चीन ने पाकिस्तान में पूंजी निवेश के लिए यहां आंतरिक स्थिरता की मांग क्यों की और क्या वो अब भी पाकिस्तान में पूंजी निवेश में रुचि रखता है?दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर इस्लामाबाद में 'पाक-चीन एडवाइज़री मेकैनिज़्म’ बैठक को संबोधित करते हुए चीन के मंत्री लियो जियान चाओ ने कहा कि पाकिस्तान और चीन के बीच समझौतों से विकास के नए अवसर पैदा होंगे लेकिन विकास के लिए ''आंतरिक स्थिरता ज़रूरी है.
''हमें इस स्थिति को बहुत गंभीरता से लेना होगा और सीपेक फ़्रेंडली मीडिया एनवायरंमेंट सुनिश्चित करना होगा.'' उन्होंने बीबीसी को बताया कि पाकिस्तान कहता है कि इनफ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में पूंजी निवेश होगा.जबकि चीन कहता है कि अपना घर दुरुस्त करो. अब वह पूंजी निवेश में दिलचस्पी नहीं ले रहा. पाकिस्तान में 'सीपेक' प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी क्यों बन रहे हैं निशाना और कौन कर रहा है ये हमले?ऑपरेशन ‘अज़्म-ए-इस्तेहकाम’ शुरू करने की मंज़ूरी
उन्होंने कहा- ''उम्मीद है सभी आतंकवाद के ख़िलाफ़ भरपूर कोशिश करेंगे… आतंकवाद के ख़िलाफ़ जंग के लिए हमारे राजनीतिक और धार्मिक नेतृत्व को पूरी तरह स्पष्ट होना ज़रूरी है.'' ''पाकिस्तान के दुश्मनों ने सोशल स्पेस को ज़हरीला कर रखा है. चीन के दौरे के वक़्त भी नकारात्मक अभियान चलाए गए.'' वो बोले, ''अब चीन ने यह तय कर लिया है कि वह वही पूंजी निवेश करेगा जहां सुरक्षा की स्थिति बेहतर होगी क्योंकि चीनी नागरिकों की सुरक्षा पर वह कोई समझौता नहीं करेगा.''
''सीपेक के अगले चरण में इंडस्ट्रियल पार्क बनाए जाएंगे. सीपेक के अगले चरण में विशेष आर्थिक ज़ोन भी बनने हैं जबकि व्यापार और स्थाई विकास को आगे बढ़ाने के कई अवसरों को तलाशा गया है.''राष्ट्रपति रईसी के दौरे में ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन पर बात क्यों नहीं हुई?चीन में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत नग़माना हाशमी ने बीबीसी को बताया कि चीन की ओर से यह कहना सामान्य बात है क्योंकि चीन यह बात एक दोस्त की हैसियत से कह रहा है.
उनका कहना है कि पाकिस्तान और चीन के संबंध पर ‘नकारात्मक रिपोर्टिंग’ इस वजह से होती है कि दोनों देश अंग्रेज़ी मीडिया में भारत, ब्रिटेन और अमेरिका से बहुत पीछे हैं. डॉक्टर नग़माना के अनुसार- सीपेक के दूसरे फ़ेज़ में निजी पूंजी निवेश के लिए ज़रूरी है कि इसके लिए माहौल अच्छा हो.
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