रिप्पन ख़ुद इस बात की वक़ालत करती हैं कि इंसान का दिमाग़ लिंग की बुनियाद पर एक दूसरे अलग नहीं होता.पैदाइश से लेकर बुढ़ापे तक हमारे बर्ताव, चाल-ढाल और सोच-समझ के तरीके को आधार बनाकर ही मान लिया गया है कि औरत और मर्द के दिमाग़ में बुनियादी फ़र्क़ है.रिप्पन को इस बात की तकलीफ़ ज़्यादा है कि वर्ष 2019 में भी हम ऐसी दक़ियानूसी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं. लैंगिक भेदभाव आज भी जारी है. भले ही इसका रंग-रूप बदल गया है.
रिप्पन कहती हैं अक़्ल औऱ समझ का संबंध अगर मस्तिष्क के आकार से होता, तो हाथी और स्पर्म व्हेल का दिमाग़ आकार में इंसान से कहीं ज़्यादा बड़ा होता है. तो फिर उनमें इंसान जैसी समझ क्यों नहीं होती. बताया जाता है कि मशहूर वैज्ञानिक आईंस्टाइन का मस्तिष्क औसत मर्दों के मुक़ाबले छोटा था. लेकिन उनकी समझ और अक़्ल का कोई सानी नहीं था.इस बुनियाद पर कहा जा सकता है कि दिमाग़ के आकार का अक़्लमंदी से कोई लेना देना नहीं है. फिर भी, समाज में फ़र्क़ करने वाली सोच अपनी जड़ मज़बूत किए हुए है.
हमारी सोच को शक्ल देने में हार्मोन का बड़ा रोल होता है. औरतों को हर महीने मासिक धर्म की बायोलॉजिकल साइकिल से गुज़रना पड़ता है. इस वक़्त उनके शरीर में कई तरह के हार्मोन रिसते हैं. और इसी बुनियाद पर उन्हें कई अहम मौक़ों पर काम करने से रोक दिया जाता है. रिप्पन एक अन्य रिसर्च के आधार पर कहती हैं कि, माहवारी शुरू होने से पहले महिलाओं में बड़ी मात्रा में एस्ट्रोजन नाम का हार्मोन सक्रिय हो जाता है. और ये महिलाओं की सोचने समझने की शक्ति पर सकारात्मक प्रभाव डालता है.क्या महिलाओं और पुरुषों का दिमाग़ एक जैसा काम करता है?
वैसे ये बात भी पुरुष समाज या पितृसत्ता की ही देन है। जहाँ पुरुष शक्तिशाली है व महिलाएँ कमजोर मानी जाती हैं। और सदैव शक्तिशाली स्वयं को बुद्धिमान व कमजोर को बुद्धिहीन या नासमझ बताता आया है।
कोई काम धाम है कि नहीं... 😡😡😡😡
हाँ मेरा अनुभव कहता है वो चीजों को अलग तरीके से सोचती हैं करती हैं हैं पर कहने का तरीका एक है ।
Ha bilkul
Yes
hnji ...... kbhi महिलाओं se behhs kr dekh lena .........
होता तो है!
O dimag dimag Eiestian Ka dimag Aj bhi jar me rakha hai Concentrate on veins Arteries Tantus Your body Complete package is called brain Mera Mitra Shakti kahta tha ki Vijay 2025 Tak Aadmi chote or sir bade honge Na kabhi humne aisa hone diya
Mahila mei sixth sense hota hai
हाँ। औरतें दिल से और आदमी दिमाग से सोचते हैं! नारी की बुद्धि में गहराई नहीं केवल बहाव होता है! पुरूष की इंटेलीजेंस ब्रह्मचर्य व संयम से निरंतर विकसित करी जा सकती है।
ये एक सच्चाई है
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