भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में जनसंख्या नियंत्रण के लिए 'दो बच्चों की नीति' लागू करने की बात सरकार ने कही है. इसके लिए उत्तर प्रदेश पॉपुलेशन बिल का मसौदा तैयार कर लिया गया है. इसके मुताबिक दो बच्चों की नीति का उल्लंघन करने वालों को तमाम सुविधाओं से वंचित करने का प्रावधान है. बिल के मुताबिक दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले स्थानीय चुनावों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे. उनके सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने और प्रमोशन पाने पर भी रोक होगी और उन्हें सरकार से सब्सिडी का लाभ भी नहीं मिलेगा.
वैसे उत्तर प्रदेश ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य नहीं है. यहां असम, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे कई राज्यों में पहले ही दो बच्चों की नीति लागू है. हालांकि इनमें कुछ छूट भी मिलती रही है. लेकिन फिलहाल चिंता की बात यह है कि भारत सरकार की ओर से हाल ही में जारी किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक भारत के 22 में से 19 राज्यों में पहले ही जनसंख्या में गिरावट आ रही है. यानी 15 से 49 साल की महिलाओं के दो से कम बच्चे हैं.
चीन के जनसंख्या विशेषज्ञों ने अपने अध्ययन में दावा किया है कि भारत संयुक्त राष्ट्र के अनुमान से पहले ही दुनिया का सबसे आबादी वाला देश बन जाएगा. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारत 2027 तक चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे आबादी वाला देश बन जाएगा लेकिन अब अध्ययन में इससे पहले यह होने का आकलन किया गया है.संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत की जनसंख्या में अब से लेकर साल 2050 के बीच करीब 27 करोड़ 30 लाख लोगों की बढ़ोतरी होने की संभावना है.
जानकारों के मुताबिक असली समस्या अब लोगों को इस बात पर जागरुक करने की नहीं है कि उन्हें दो ही बच्चे पैदा करने चाहिए बल्कि यह जागरुकता लाने की है कि तीसरे बच्चे से कैसे बचें. अब ज्यादातर माता-पिता दो ही बच्चे चाहते हैं लेकिन उनको इस बात की जानकारी नहीं होती कि तीसरे गर्भ से कैसे बचना है. जिसके चलते महिला तीसरी बार भी गर्भवती हो जाती है. गर्भवती होने के बाद भी इस बच्चे से बचने का तरीका उसे नहीं पता होता और अंतत: उन्हें तीसरे बच्चे को भी पालना पड़ता है.
उनके मुताबिक ठेकेदारी की प्रक्रिया के चलते सरकारी उपायों की घटिया गुणवत्ता ने सरकारी अस्पतालों में मौजूद गर्भनिरोध के उपायों से लोगों का विश्वास उठाया है. नेशनल न्यूट्रिशन मिशन के तहत महिला और बाल स्वास्थ्य पर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में काम कर चुके विनय कुमार कहते हैं,"नसबंदी के लिए लगाए जाने वाले सरकारी कैंप में आशा कार्यकर्ता के पास लोगों की संख्या पूरी करने के टारगेट होते हैं और कई बार वे लोगों को बिना पूरी जानकारी दिए इनमें ले आती हैं.
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